सुमित शर्मा। बुधनी विधानसभा के अंतर्गत आने वाली जनपद पंचायत बुधनी की ज्यादातर ग्राम पंचायतोें में नियमों से काम नहीं होता। यहां की पंचायतों में पंचायत सचिवों की मनमानी से ही काम चलता है। इसका उदाहरण बुधनी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत आंवलीघाट, जहाजपुरा, बरखेड़ा, और नयागांव है। इन पंचायतोें मेें न तो कोई नियम चलता है और न ही किसी प्रकार का कानून चलता है। यहां केे सर्वेसर्वा ग्राम पंचायत के सचिव हैं, जिनके सामनेे जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के आदेश भी हवाहवाई हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां बुधनी विधानसभा को मध्यप्रदेश केे लिए रोेल मॉडल बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं। इसके लिए प्रज्ज्वल बुधनी प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू किया गया है। बुधनी का विकास मॉडल पूरे मध्यप्रदेश में दिखेे औैर इसे अन्य राज्य भी अपनाएं, लेकिन मुख्यमंत्री के इन सपनों पर पानी फेरने के लिए ग्राम पंचायतोें के सचिव ही काफी हैं। ग्राम पंचायतोें के सचिवों की पंचायतोें में मनमानी इस कदर है कि उनकेे सामने नियम-कानून सब कुछ छोटे दिखाई दे रहे हैं।
भ्रष्टाचार इतना की नहीं देतेे जानकारी-
ग्राम पंचायतोें का भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। ग्राम पंचायतोें मेें किया जा रहा भ्रष्टाचार छोटा नहीं है, इसमें पंचायत सचिव सरपंचों के साथ मिलकर लाखों का गोलमाल कर रहे हैं। यही कारण है कि वे पंचायतों से संबंधित जानकारी भी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। बुधनी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत आंवलीघाट, जहाजपुरा, बरखेड़ा, नयागांव सहित अन्य पंचायतोें में सूचना के अधिकार केे तहत जानकारी मांगी गई, लेकिन इन पंचायतों के सचिव जो कि लोक सूचना अधिकारी भी हैं, वे न तोे सूचना मांगने वालों से कोई पत्र-व्यवहार करतेे हैं औैर न ही सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कोई सूचना उपलब्ध करवाते हैं। सचिवों की मनमानी यही खत्म नहीं होती। उन्हें नियम-कानून का भी डर नहीं है, यही कारण है कि वे प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जारी अपील दिनांक को भी उपस्थित नहीं होतेे। ऐसा करना भी सिविल सेवा अधिनियम के कदाचरण की श्रेणी में आता है, लेकिन पंचायत सचिवों को इससे कोई मतलब नहीं, वे तोे अपनी मनमानी से ही कार्य संचालित करते हैं।
इनका कहना है-
सूचना का अधिकार अधिनियम धारा 19 के तहत कानून में प्रथम एवं द्वितीय अपील में लोक सूचना अधिकारी की उपस्थित ही अनिवार्य है। इसमें अपीलार्थी की उपस्थिति स्वैच्छिक होती है। सूचना का अधिकार अधि. में लोक सूचना अधिकारी का दायित्व अर्धन्यायिक होता है। यदि कोई लोक सूचना अधिकारी प्रथम अपील में नहीं पहुंचता है तोे यह बेहद गैरजिम्मेदाराना है। इसमें दंड धारा 20 के तहत दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम की धारा नियम 12क के तहत सूचना देने योग्य जानकारी छिपाने को कदाचरण माना गया है।
– आत्मदीप, पूर्व सूचना आयुक्त, राज्य सूचना आयोग
पंचायत सचिवों द्वारा प्रथम अपील में न पहुंचना बेेहद गंभीर मामला है। हम सचिवो-लोक सूचना अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर रहे हैं। इन पर कार्रवाई भी की जाएगी।
– देवेश सराठे, सीईओ, जनपद पंचायत बुदनी