अधिकारियों को नहीं, उनके अधिकार और सिस्टम को बदलना होगा…

अधिकारियों को नहीं, उनके अधिकार और सिस्टम को बदलना होगा...

सुमित शर्मा
9425665690
मध्यप्रदेश में लगातार अपराधिक घटनाएं हो रही हैं। इन घटनाओं पर सरकार, जिला प्रशासन व स्थानीय प्रशासन सख्त भी हैं। अपराधियों को सबब भी सिखाया जा रहा है। अपराधियों के घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है। अपराध घटित होने के बाद जिलों के वरिष्ठ अधिकारी, कलेक्टर, एसपी को भी वहां से हटाया जा रहा है, लेकिन क्या अधिकारियों को हटाने से सिस्टम बदल जाएगा? यह सवाल भी मौजूं है। प्रदेश में लगातार हो रही घटनाओं के बाद इनकी गाज अधिकारियों पर गिर रही है। यह सही है कि जिलों में यदि कोई घटना घटित होती है या कोई लापरवाही होती है तो इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी वहां के वरिष्ठ अधिकारियों सहित कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक की होती है। कलेक्टर-एसपी घटनाओं के लिए जिम्मेदार होते हैं, लेकिन क्या इन्हें हटाने से समस्या का हल निकल जाएगा या उनके स्थान पर आने वाले दूसरे अधिकारी जादू की छड़ी घूमाएंगे और सब कुछ ठीक हो जाएगा। दरअसल अब समय अधिकारियों को हटाने की बजाए उन्हें ज्यादा अधिकार देने और सिस्टम को दुरूस्त करने का है। जिलों में स्थितियां यह है कि यदि कलेक्टर-एसपी सहित अन्य अधिकारी कोई कठोर कार्रवाई के लिए पहल करते हैं तो संबंधित जिलों की नेतानगरी उन्हें ऐसा करने से रोक देती है। थानों में भाजपा के छुटभैया नेताओं का ऐसा रौब चलता है कि उनके आगे संंबंधित थानों के प्रभारी नतमस्तक हो जाते हैं। अधिकारी-कर्मचारियों को तो नौकरी करनी है, लेकिन नेताओं को वहां पर नेतागिरी करनी है। इसके कारण अधिकारी-कर्मचारी भी उनके कहे अनुसार कार्य करते हैं। अब समय है कि इस सिस्टम को बदला जाए, अधिकारियों को अधिकार दिए जाएं, ताकि वे अपराधियों पर कठोर कार्रवाई कर सकें।
पिछले दिनों खरगौन, गुना सहित अन्य स्थानों पर गंभीर अपराधिक घटनाएं हुर्इं। इन घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास तो तमाम किए गए, लेकिन यहां के वरिष्ठ अधिकारियों को यहां से हटा दिया गया। एक थाने का तो संपूर्ण स्टॉफ ही हटा दिया गया है, लेकिन क्या इससे सिस्टम सुधर जाएगा। यहां पर जो भी स्टॉफ आएगा वह उसी सिस्टम में कार्य करेगा। सिस्टम तो वही है ऊपर से नीचे तक पूरे सिस्टम में भांग घुली हुई है। सरकार एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को वे अपराध तो नजर आ रहे हैं जो घटनाएं घटित हो रही हैं और सुर्खियों में हैं, लेकिन कई अपराध ऐसे भी हैं, जो जमकर पर्दे के पीछे से संचालित हैं। ये अपराध अभी पर्दे के पीछे चल रहे हैं और किसी दिन ये बड़े रूप में सामने आएंगे और सुर्खियां बनेंगे, तब मुख्यमंत्री ताबड़तोड़ तरीके से निर्देश देंगे और अधिकारियों को हटाएंगे। यदि इन अपराधों पर समय रहते अंकुश लग जाए तो न तो अधिकारियों को हटाने की नौबत आएगी और न ही अपराध बढ़ सकेंगे। अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। अपराधियों को नेताओं एवं प्रभावशाली लोगों द्वारा पनाह दी जा रही है। इन प्रभावशाली लोगों के मार्गदर्शन में अपराधी कार्य कर रहे हैं। कई उदाहरण हैं, जहां पर नेताओं एवं प्रभावशाली लोगों के क्षेत्र में अपराधी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई के नाम पर कुछ भी नहीं है। इन अपराधों की श्रेणी में सीहोर जिला भी है, जहां पर लगातार घटनाएं घट रही हैं, लेकिन इन घटनाओं को इस तरह से दबाया जा रहा है कि ये सुर्खियां नहीं बन पा रही है और इसके कारण इन पर कार्रवाई नहीं हो रही है। सीएम साहब अब अधिकारियों को बदलने की बजाए आप इनके अधिकार एवं सिस्टम को बदलिए, सब कुछ बेहतर हो जाएगा।

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