
सीहोर-रेहटी। सीहोर जिले की रेहटी तहसील का एकमात्र शासकीय महाविद्यालय सुविधाओं के अभाव में चल रहा है। स्थिति यह है कि कॉलेज में क्षमता सेे अधिक छात्र-छात्राएं हैं। उनके लिए पर्याप्त कक्षाएं नहीं हैं। कॉलेज मेें जहां नियमित प्राध्यापक नहीं हैं तोे वहीं ऑफिस स्टॉफ की भी भारी कमी है। बुदनी विधानसभा का महाविद्यालय इस समय भारी अव्यवस्थाओं के बीच में संचालित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र, जहां की रेहटी तहसील मुख्यालय पर शासकीय महाविद्यालय संचालित है। यह महाविद्यालय कई असुविधाओं के साथ मेें संचालित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस महाविद्यालय में रेहटी तहसील के सैकड़ों गांवोें सहित बुदनी तहसील तक से विद्यार्थी एडमिशन लेने के लिए आतेे हैं। महाविद्यालय में वर्ष 2021-22 में भी क्षमता से अधिक एडमिशन हो चुके हैैं, जबकि यहां पर अब पीजी कक्षाओें कोे खोलने की भी मांग की जा रही है। ऐसे में जब वर्तमान मेें ही छात्र-छात्राओं के लिए बैठने की व्यवस्था नहीं है तोे फिर पीजी की कक्षाएं कहां पर संचालित होंगी।
इतनेे हैं महाविद्यालय में विषय एवं विद्यार्थी-
शासकीय महाविद्यालय रेहटी मेें बीए, बीएससी एवं बीकॉम की कक्षाएं संचालित हो रही हैैं। कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष में 185 छात्र, 195 छात्राएं कुल 380 विद्यार्थी हैं। इसी प्रकार बीए द्वितीय वर्ष में 167 छात्र, 162 छात्राएं, बीए तृतीय वर्ष मेें 124 छात्र, 212 छात्राएं अध्ययनरत हैं। इसी तरह बीएससी प्रथम वर्ष में 36 छात्र, 64 छात्राएं, बीएससी द्वितीय वर्ष में 34 छात्र, 50 छात्राएं, बीएससी तृतीय वर्ष मेें 40 छात्र, 46 छात्राएं अध्ययनरत हैं। बीकॉम प्रथम वर्ष में 28 छात्र, 27 छात्राएं, बीकॉम द्वितीय वर्ष मेें 28 छात्र, 25 छात्राएं एवं बीकॉम तृतीय वर्ष में 21 छात्र एवं 13 छात्राएं अध्ययनरत हैं। अब यहां पर पीजी की कक्षाओें के लिए भी तैैयारियां की जा रही हैं, जबकि कॉलेज में छात्र-छात्राओें को बैठाने के लिए व्यवस्थाएं ही नहीं हैं।
प्रभारी प्राचार्य के भरोसे कॉलेज, नहीं है एकाउटेंट-
शासकीय महाविद्यालय रेहटी में नियमित प्राध्यापक सहित अन्य स्टॉफ की भी भारी कमी है। कॉलेज मेें प्रभारी प्राचार्या हैं। इसके अलावा एक नियमित सहायक प्राध्यापक हैं। अतिथि शिक्षक 12 हैं। महाविद्यालय में वर्ष 2010 से ही एकाउटेंट का एक पद रिक्त पड़ा हुआ है। सहायक ग्रेड-2 का पद भी वर्षों से रिक्त है। सहायक ग्रेड-3 के भरोसे ही एकाउंट सहित अन्य जिम्मेदारियां हैं। स्थिति यह है कि कॉलेज में नियमित प्राध्यापक नहीं होने केे कारण जनभागीदारी समिति की बैठक भी लंबे समय से नहीं हुई है, क्योंकि बैठक का कोरम ही पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके कारण कई जरूरी निर्णय भी नहीं हो पा रहे हैं।