अंतरिक्ष में एक बेहद दुर्लभ आकाशगंगा का पता चला, इसमें समा जाएं 1000 करोड़ वजनी सूरज

ह्यूस्टन । अंतरिक्ष में एक बेहद दुर्लभ आकाशगंगा का पता चला है, जिसके अंदर तीन विशालकाय ब्लैक होल्स हैं। दुर्लभ आकाशगंगा इसलिए कहा गया, क्योंकि इसमें तीन गैलेक्सी मिल रही हैं। ये सब मिलकर ब्रह्मांड की सबसे बड़ी वस्तु बना रहे हैं। ये ब्लैक होल्स इतने बड़े हैं कि वो 1000 करोड़ सूरज के वजन के बराबर होंगे यानी ये ब्लैक होल्स हमारे सूरज से 30 हजार करोड़ गुना बड़े हैं। ये ब्लैक होल्स हमारे मिल्की वे आकाशगंगा में मौजूद ब्लैक होल्स से लाखों गुना बड़े हैं। 
वैज्ञानिक इन मिलती हुई तीन आकाशगंगाओं की स्टडी एस्ट्रीड तकनीक से कर रहे हैं। यह एक हाई रेजोल्यूशन कॉस्मोलॉजिकल सिमुलेशन है। इसके जरिए वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति का समय खोज रहे हैं, जिसे करीब 1100 करोड़ साल पुराना माना जा रहा है। इसी दौरान वैज्ञानिकों को इस विशालकाय ब्लैक होल का पता चला, जो तीन आकाशगंगाओं के मिलन वाली जगह पर मौजूद है। हर आकाशगंगा के खुद के क्वासार हैं। क्वासार वो विशालकाय ब्लैक होल होते हैं, जो रेडिएशन और गैस को खाते रहते हैं। ये आसपास के तारों और ग्रहों के रेडिएशन और गैस को निगल जाते हैं। जब तीनों आकाशगंगाओं के क्वासार आपस में मिले तो उन्होंने मिलकर एक अत्यधिक विशालयकाय ब्लैक होल बना लिया। अब ये ताकतवर ब्लैक होल अपने आसपास की चीजों को राक्षस की तरह खा रहा है। कुछ भी नहीं छोड़ रहा है। हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के पोस्टडॉक्टोरल फेलो यूइंग नी ने बताया कि यह बेहद दुर्लभ नजारा है। 
यूइंग का कहना है कि इस दुर्लभ नजारे ने यह बता दिया है कि किस तरह किसी सुपर-अल्ट्रामैसिव ब्लैक होल का निर्माण होता है। भविष्य में यह चीज फिर से संभव है। अगर हम ब्रह्मांड की खोज जारी रखेंगे तो हो सकता है कि इससे बड़ी वस्तुएं भी मिलें, जिसमें और बड़े ब्लैक होल मौजूद हों, क्योंकि इतने बड़े ब्लैक होल जब बनते हैं, तो वो अपने आसपास की चीजों को निगलते चले जाते हैं, ताकि वो खुद को बड़ा कर सकें।