नई दिल्ली
अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने देश का बजट तैयार किया है। तालिबान का दावा है कि उसने बिना किसी विदेशी मदद के ही यह बजट तैयार किया है। अफगानिस्तान के वित्त मंत्रालय ने यह बजट तैयार किया है। मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि तालिबानी सरकार ने पिछले दो दशकों में पहली बार बिना विदेश से आर्थिक सहायता के इस तरह का बजट तैयार किया है। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता अहमद अली हकमान ने हालांकि यह नहीं बताया कि बजट का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है वो कितना बड़ा है। हालांकि बातचीत में उन्होंने कहा कि कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस ड्राफ्ट को पब्लिश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 'हम यह कोशिश कर रहे हैं कि अपने घरेलू आय से ही इसे फाइनेंस किया जाए। हमें विश्वास है कि हम कर सकते हैं।' बता दें कि अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया कई मुल्कों ने अफगान को अपनी आर्थिक मदद रोक दी थी।
तालिबान ने अफगानिस्तान का बजट उस वक्त तैयार किया है, जब देश आर्थिक संकट में बुरी तरह से फंसा हुआ है और और पूरे देश में लाखों लोग गंभीर मानवीय तबाही का सामना कर रहे हैं। ज्यादातर विदेशी कंपनियों ने अफगानिस्तान से अपना कारोबार समेट लिया है। कहा जा रहा है कि अब देश में राजस्व जुटाने का सबसे बड़ा जरिया ड्रग्स की तस्करी ही बचा है और पिछले हफ्ते जारी रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अफगानिस्तान में रिकॉर्ड मात्रा में अफीम का उत्पादन किया गया है।
अफगानिस्तान की पिछली सरकार ने साल 2021 का जो बजट तैयार किया था, उसमें 219 अरब अफगान रुपये, यानि करीब 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर के घाटे का अनुमान लगाया गया था। वहीं, बजट में 217 अरब अफगान रुपये घरेलू राजस्व से प्राप्त होने की संभावना जताई गई थी, लेकिन, तालिबान शासन स्थापित होने के बाद घरेलू राजस्व के बुरी तरह से प्रभावित होने की संभावना जताई गई है।
अफगानिस्तान को आसन्न मानवीय संकट से बचाने के लिए सोमवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त रूप से प्रयास करने की बात कही। अफगानिस्तान पर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट के साथ बातचीत के दौरान जनरल बाजवा ने यह बात कही। वेस्ट ने रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय में जनरल बाजवा से मुलाकात की।
सेना द्वारा जारी बयान के अनुसार, बैठक में परस्पर हित के मुद्दों, अफगानिस्तान के मौजूदा सुरक्षा हालात और द्विपक्षीय सहयोग के अवसरों पर चर्चा हुई। बयान के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास पर बल देते हुए जनरल बाजवा ने कहा कि अस्थिर अफगानिस्तान दुनिया और क्षेत्र दोनों ही के लिए सही नहीं है। युद्ध से जर्जर देश से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के दौरान अगस्त, 2021 में काबुल पर फिर से तालिबान का कब्जा होने के बाद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद खराब स्थिति में है।