नई दिल्ली
नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे से लाल हुए चीन ने जोरदार सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। इसके तहत उसने ताइवान को 6 तरफ से घेरकर युद्धाभ्यास शुरू किया है और मिसाइलें दाग रहा है। फाइटर जेट उड़ाए जा रहे हैं और लाइव फायर हो रहे हैं। चीन ने विमानों को समुद्री जहाजों को हिदायत दी है कि इस इलाके से न गुजरें क्योंकि रविवार तक उसकी ओर से मिलिट्री ड्रिल जारी रहेगी। माना जा रहा है कि ताइवान को डराने और भविष्य में हमला करने के अभ्यास के तहत चीन यह ड्रिल कर रहा है। ताइवान के साथ ही वह जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भी सख्त संदेश देना चाहता है। जो पैसिफिक में उस पर लगाम कसने की मंशा रखते हैं।
चीन के पास 20 लाख की संख्या वाली दुनिया की सबसे बड़ी मिलिट्री है। इसके अलावा नौसेना के बेड़े में भी अमेरिका के मुकाबले ज्यादा जहाज हैं। ताइवान की सैन्य ताकत को चीन के मुकाबले किसी भी जगह नहीं रखा जा सकता, लेकिन उसने ड्रैगन के नियंत्रण में आने से साफ इनकार किया है और हमले की स्थिति में जवाब देने की बात कही है। इस बीच एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिन चुनौतीपूर्ण होंगे और दुनिया कुछ उथलपुथल देखती रहेगी। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर खैरिस टेम्पेलमैन कहते हैं, 'कूटनीति के जरिए इस संकट के समाप्त होने में कुछ वक्त लगेगा। मैं नहीं जानता कि आखिर यह तनाव क्या रुख लेगा। लेकिन यह जरूर है कि कुछ सप्ताह अस्थिरता का दौर रहेगा।'
ताइवान को घेरकर समुद्र और आसमान में क्या कर रहा चीन
चीन का कहना है कि उसने ताइवान को 6 जगहों से घेरा है। यही नहीं ताइवान से महज 12 मील यानी 20 किलोमीटर की दूरी पर ही उसकी सेनाएं अभ्यास कर रही हैं। कई बार ताइवान की जल सीमा में भी चीन की पनडुब्बियां और जहाज घुस जाती हैं। चीन का साफ कहना है कि नैन्सी पेलोसी के दौरे ने उसे उकसाने का काम किया है। उसका कहना है कि ताइवान में तो खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी एंट्री करने की अथॉरिटी नहीं है। ऐसे में उसने हमारी अखंडता को चुनौती दी है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस मामले को अपने लिए भी एक चुनौती के तौर पर देख रहे हैं। ड्रैगन की ओर से तमान चुनौतियों के बाद भी नैन्सी पेलोसी के दौरे ने चीन को अजीब स्थिति में ला दिया है।
दोराहे पर खड़ा है चीन, आगे बढ़ना मुश्किल और पीछे हटने में किरकिरी
यदि वह अमेरिका को जवाब देने के लिए ताइवान पर अटैक करता है तो वह विश्व राजनीति में अकेला सा पड़ सकता है। वहीं इससे पीछे हटता है तो फिर अमेरिका के आगे झुकने का संदेश भी जाएगा। इस तरह चीन ताइवान के मसले पर दोराहे पर आकर खड़ा हो गया है। यही वजह है कि चीन ने शक्ति प्रदर्शन का रास्ता चुना है। माना जा रह है कि 1995 और 1996 के बाद यह पहला मौका है, जब चीन ताइवान को टारगेट करके इतनी बड़ी मिलिट्री ड्रिल कर रहा है। चीन अकसर ही ताइवान की वायु सीमा के अंदर फाइटर जेट भेजता रहा है, लेकिन अब जिस तरह से वह आक्रामक है, उसने चिंताएं बढ़ा दी हैं।