रोहिंग्या मुस्लिमों के दमन को अमेरिका ने नरसंहार माना ,10 लाख रोहिंग्या निकाले गए थे

 वॉशिंगटन

पांच साल पहले म्यांमार में सैन्य सरकार द्वारा शुरू किए गए रोहिंग्या मुस्लिमों के दमन को अमेरिका ने नरसंहार करार देने का फैसला किया है। इस दौरान करीब 10 लाख रोहिंग्या को देश से खदेड़ दिया गया। इसके लिए बड़े पैमाने पर हत्याओं, सूली पर लटकाने, दुष्कर्म, परिवारों को जिंदा जलाने व डुबोने जैसे जघन्य तरीके अपनाए गए।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन सोमवार को म्यांमार की हिंसा को अधिकृत रूप से नरसंहार करार देंगे। इस मौके पर युद्ध अपराध के लिए कानूनी दस्तावेज को जारी किया जाएगा। अमेरिकी जांचकर्ताओं ने इसे 2018 में तैयार किया है। वाशिंगटन स्थित अमेरिकी होलोकास्ट मेमोरियल म्यूजियम में इस दस्तावेज को रखा जाएगा।  इनमें कहा गया है कि म्यांमार की सैन्य सरकार रोहिंग्याओं का नरसंहार किया।

इसके साथ ही म्यांमार की सैन्य सरकार के खिलाफ अतिरिक्त आर्थिक पाबंदियां लगाई जाएंगी और मदद में कटौती कर दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। म्यांमार की सैन्य सरकार, जिसे तातमॉडा भी कहा जाता है कि फरवरी 2021 में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की के नेतृत्व में म्यांमार की लोकतांत्रिक  सरकार को उखाड़ फेंका था। बाइडन प्रशासन ने सेना द्वारा सत्ता पर कब्जा करने को पहली बार विद्रोह या तख्तापलट माना है।

इस फैसले के साथ ही अमेरिका में इस पर बहस छिड़ सकती है, क्योंकि पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले को टाल रखा था। अमेरिकी विदेश विभाग अब तक तय नहीं कर पा रहा था कि म्यांमार की सैन्य जुंटा को अल्पसंख्यक रोहिंग्याओं के नरसंहार का जिम्मेदार माना जाए या नहीं। रविवार को अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने पुष्टि की कि इसे जनसंहार माना जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग की पूर्व अध्यक्ष अनुरीमा भार्गव का कहना है कि यह उन अत्याचारों की पुष्टि है, जो आज भी हो रहे हैं। जिन लोगों ने यह नरसंहार किया, वे आज भी सत्ता में बने हुए हैं।