भारत-रूस संबंधों से परेशान नहीं है अमेरिका, जानें नई दिल्ली को लुभाने पर क्या बोले विदेश मंत्री के सलाहकार

 वॉशिंगटन

भारत और रूस के बीच संबंधों को लेकर अमेरिका ने फिर प्रतिक्रिया दी है। अब विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के शीर्ष सलाहकार ने कहा है कि हम दोनों देशों के बीच पुराने रक्षा संबंधों को समझते हैं। साथ ही उन्होंने भारत के साथ अमेरिका की साझेदारी को भी 'जबरदस्त क्षमता' वाला बताया है। खास बात है कि हाल ही में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत को रूस से सैन्य उपकरणों की खरीदी कम करने का सुझाव दिया था।

एएनआई से बातचीत में डेरेक चॉलेट ने कहा कि भारत का समर्थन करने के लिए अमेरिका मौजूद है। उन्होंने कहा, 'हम समझते हैं कि कई वर्षों में भारत के रूस के साथ लंबे समय से सरक्षा संबंध रहे हैं और ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका साझेदार बनने के लिए उपलब्ध नहीं था। यह दशकों पुरानी बात है और आज हम अलग वास्तविकता देखते हैं।' उन्होंने कहा, 'बीते 10 सालों में भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी नाटकीय रूप से बदली है। हमें उनके संबंधों में गजब की क्षमता और मौके नजर आते हैं। ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन की अपने समकक्षों के साथ टू प्लस टू वार्ता ने यह बताने में काफी मदद की है।'

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत, अमेरिका का रणनीतिक साझेदार है। चॉलेट ने कहा, 'हम असली सहयोगी हैं। और इस साझेदारी में गजब की क्षमता है। यह पहले ही क्षेत्रों और दुनिया में दोनों देशों को फायदा पहुंचा रहा है। और हमें लगता है कि यह और बढ़ेगा।' उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका, भारत के साथ करीबी संपर्क में है। उन्होंने बताया, 'हम रूस के साथ उनके पुराने रक्षा संबंधों को पूरी तरह से समझते हैं।' खास बात है कि मॉस्को के खिलाफ लगे प्रतिबंधों के चलते रूस अब शायद पुरानी दरों पर उपकरण तैयार नहीं कर पाएगा। खबर है कि जरूरी चीजें आयात नहीं करने के चलते कई प्लांट्स में उत्पादन रुक गया है।

ऐसे में भारत को सैन्य उपकरण के मामले लुभाने को लेकर चॉलेट ने कहा, 'भारत को लुभाने जैसा ज्यादा कुछ नहीं है। हम देखते हैं कि यह साझेदारी अपने आप बढ़ रही है। और हमारे संबंधों और खासतौर से रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने के लिए दोनों पक्ष यही चाहते हैं। ऐसा रातों-रात नहीं हो सकता। इस बदलाव में लंबा समय लगेगा और हम हमारे भारतीय सहयोगियों की मदद के लिए खड़े होना चाहते हैं।'

भारतीय सेना तोप, बंदूकों और मिसाइल सिस्टम समेत रूस में बने कई हथियारों का इस्तेमाल करती है। नई दिल्ली ने रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए भी करार किया है। खास बात है कि इस सौदे पर कॉउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंकशन्स एक्ट (CAATSA)  के तहत प्रतिबंधों का खतरा मंडरा रहा है।