वॉशिगटन/कीव/मास्को
यूक्रेन पर जिस तरह से रूस ने हमला बोला है उसके बाद दुनियाभर के अहम देश लगातार रूस पर लगाम लगाने के लिए एक के बाद एक प्रतिबंध लगा रहे हैं। इस दिशा में अब पश्चिमी देशों ने अबतक का सबसे बड़ा कदम उठाया है। अमेरिका, यूरोपियन कमीशन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और युनाइटेड किंगडम, कनाडा ने रूस के कुछ बैंकों पर स्विफ्ट ट्रांजैक्शन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। यह एक हाई सिक्योरिटी नेटवर्क है जिसके जरिए बैंकिंग संस्थान दुनियाभर में पैसों का लेन-देन करते हैं। ऐसे में यह फैसला रूस को वित्तीय ट्रांजैक्शन के तौर पर बड़ा झटका माना जा रहा है।
रूसी बैंकों पर इस स्विफ्ट ट्रांजैक्शन के प्रतिबंध से रूस के बैंकों के अंतरराष्ट्रीय लेन-देन में बड़ी दिक्कत होगी। अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से इस बाबत जो साझा बयान जारी किया गया है उसमे कहा गया है, इस फैसले से यह बात सुनिश्चित की जा सकती है कि ये बैंक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था से कट जाएंगे और वैश्विक स्तर पर इनके काम करने की क्षमता पर असर पड़ेगा। बयान में इस बात की भी प्रतिबद्धता जाहिर की गई है कि इस प्रतिबंध से रसियन सेंट्रल बैंक पर बड़ी पाबंदी लगेगी और हमारे द्वारा लगाए गए अन्य प्रतिबंधों के असर को और प्रभावी करेंगे। इसके साथ ही गोल्डन पासपोर्ट की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है जिससे रूस के प्रभावी वर्ग पर पूर्व में लगाए गए प्रतिबंधों से किसी तरह की छूट नहीं मिलेगी।
बता दें कि रूस ने दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार इकट्ठा किया है। रूस का विदेशी मुद्रा भंडार 630 बिलियन डॉलर से अधिक का है। जो बाइडेन की सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी बताया कि हम एक साथ मिलकर रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं ताकि रूस अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल अपनी मुद्रा को मदद देने के लिए इस्तेमाल ना कर सके और हमारे द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के असर को कम नहीं कर सके। 600 बिलियन डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार पुतिन के लिए अहम है जब वह इसका इस्तेमाल कर सके।