इस्लामाबाद
कंगाली, बेहाली और बेकारी की मार झेल रहे पाकिस्तान को इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड यानि आईएमएफ से बहुत बड़ी राहत मिली है और आईएमएफ ने पाकिस्तान के बेलऑउट पैकेज को फिर से जारी करने की मंजूरी दे दी ै, जिसके बाद पाकिस्तान को 1.17 अरब अमेरिकी डॉलर की सातवीं और आठवीं किस्त मिलेगी। पाकिस्तान काफी लंबे अर्से से आईएमएफ के सामने बेलऑउट पैकेज के लिए गुहार लगा रहा था, जिसे अब जाकर मंजूरी दी गई है, जिसको लेकर देश के वित्तमंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने देशवासियों को बधाई दी है।
पाकिस्तान को कर्ज की मंजूरी
IMF के कार्यकारी बोर्ड ने सोमवार को पाकिस्तान के एक्सटेंडेट फंड फैसिलिटी (EFF) कार्यक्रम के पुनरुद्धार को मंजूरी दे दी, जिसके बाद नकदी की कमी से जूझ रहे देश को 1.17 बिलियन अमरीकी डालर की 7 वीं और 8 वीं किश्त प्राप्त होगी। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ने पाकिस्तान के ईएफएफ कार्यक्रम के पुनरुद्धार को मंजूरी दे दी है। उन्होंने ट्वीट किया कि, "हमें अब 1.17 अरब अमेरिकी डॉलर की सातवीं और आठवीं किश्त मिलनी चाहिए। मैं इतने कड़े फैसले लेने और पाकिस्तान को चूक से बचाने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को धन्यवाद देना चाहता हूं। मैं देश को बधाई देता हूं।" पाकिस्तान और आईएमएफ ने जुलाई 2019 में 6 अरब अमरीकी डालर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन यह कार्यक्रम जनवरी 2020 में पटरी से उतर गया, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ की शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया।
2023 तक दिया जाएगा लोन
आईएमएफ और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के मुताबिक, आईएमएफ ने एक अरब डॉलर का कर्ज और बढ़ा दिया था और 2023 तक 7 अरब डॉलर का कर्ज देने की मंजूरी दी थी। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज उस वक्त दिया है, जब चीन और सऊदी अरब के साथ उसके चार दोस्त देशों ने द्विपक्षी वित्तपोषण के तहत 4 अरब डॉलर देने की घोषणा की है और उसके बाद ही आईएमएफ की तरफ से कर्ज जारी करने का फैसला किया गया है। बोर्ड की बैठक सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर और चीन द्वारा आईएमएफ को पुष्टि करने के बाद बुलाई गई थी कि उन्होंने पाकिस्तान को द्विपक्षीय वित्तपोषण में 4 बिलियन अमरीकी डालर की व्यवस्था पूरी कर ली है, जो सभी के पूरा होने के बाद बेलआउट पैकेज के लिए अंतिम अड़चन थी।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति सुधरेगी?
एक्सपर्ट्स का कहना है, कि अगर पाकिस्तान ने आईएमएफ की सख्त शर्तों का पालन कर लिया, तो अगले 3 से 4 सालों में देश की अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ जाएगी और फिलहाल के लिए तो पाकिस्तान से ऊपर से संकट टल गया है और उसके पास फिर से विदेशी मुद्रा भंडार आ गये हैं, जिससे पाकिस्तानी रुपया मजबूत होता और भुगतान संतुलन में भी समर्थन मिलेगा। वहीं, आईएमएफ बोर्ड की बैठक से पहले, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रविवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी पर आईएमएफ के साथ समझौते को तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि "आत्मकेंद्रित राजनीति" देश के साथ भारी अन्याय करेगी। अप्रैल में खान के निष्कासन के बाद से, आईएमएफ सहायता के बारे में अनिश्चितता के बीच, पाकिस्तान की मुद्रा अब तक के सबसे निचले स्तर 240 पर आ गई है।