चीन ने कहा रूस के साथ संबंधों पर हमें ज्ञान न दे अमेरिका

बीजिंग । चीन ने रूस के साथ संबंधों पर सख्त लहजे में कहा है कि अमेरिका हमें यह ज्ञान न दे कि रूस के साथ संबंधों को कैसे रखना है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के गठबंधन नीतियों की तुलना में चीन-रूस संबंध किसी भी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं हैं। हमारे संबंध गैर-गठबंधन गैर-टकराव और गैर-लक्ष्यीकरण पर आधारित हैं। यह दोनों पक्षों के हितों के अनुरूप है और वैश्विक चुनौतियों को दूर करने में सहायता करने वाला है। चीन ने अमेरिका पर अपने दुश्मनों को लक्ष्य बनाने वाले गठबंधन के निर्माण का आरोप भी लगाया। अमेरिका ने चीन को चेतावनी दी है कि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कमजोर करने में रूस की सहायता न करे। अमेरिका ने इसे लेकर चीन को अंजाम भुगतने की भी धमकी दी है। चीन ने रूस के साथ ऊर्जा के क्षेत्र में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। कुछ समझौते तो यूक्रेन पर हमले के चंद दिनों पहले ही साइन किए गए थे। इसमें चीन और रूस के बीच तेल पाइपलाइन की स्थापना के साथ रियायती दरों पर लंबे समय तक तेल और गैस की आपूर्ति भी शामिल है। इसके अलावा अनाजों के निर्यात को लेकर भी दोनों देशों में डील हुई है। चीन ने कहा कि बीजिंग और मास्को के बीच ठोस संबंध दुनिया को बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ने में मदद कर सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकपक्षवाद में जाने से रोक सकते हैं। अमेरिका को चिंता है कि चीन और रूस के बीच गहराते सहयोग से उसके वैश्विक नेतृत्व और आधिपत्य पर असर पड़ेगा। यह सहयोग दोनों देशों के खिलाफ उसके प्रभाव को प्रभावित करेगा।
चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में रूसी पूर्वी यूरोपीय और मध्य एशियाई अध्ययन संस्थान के एक एसोसिएट रिसर्च फेलो यांग जिन ने कहा कि अमेरिका को चिंता है कि चीन और रूस अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के क्षेत्र में सहयोग बढ़ा रहे हैं। इससे अमेरिका और पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए गए प्रतिबधों के प्रभाव को कम करने में मदद मिल रही है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि जो लोग इस अन्यायपूर्ण युद्ध में मास्को के साथ हैं वे अनिवार्य रूप से खुद को इतिहास के गलत पक्ष में पाएंगे। प्रवक्ता ने कहा कि बीजिंग तटस्थ होने का दावा करता है लेकिन उसका व्यवहार स्पष्ट करता है कि वह अभी भी रूस के साथ घनिष्ठ संबंधों में निवेश कर रहा है। यह बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी समकक्ष शी जिनपिंग के बीच एक वर्चुअल बैठक के बाद आया जिसके दौरान दोनों ने विशेष रूप से द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की प्रशंसा की थी।