वाशिंगटन
तिब्बत को लेकर भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के फैसले को तिब्बत के राष्ट्रपति ने 'सही' ठहराया है। निर्वासन में तिब्बती सरकार के राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत से लोग मानते हैं कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तिब्बत पर चीन के दावे को स्वीकार करते हुए "एक बड़ी गलती" की, लेकिन उन्होंने वही किया जो उन्हें अपने देश के लिए सबसे अच्छा लगा। हालांकि राष्ट्रपति पेनपा त्सेरिंग ने वाशिंगटन में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें लगता है कि भारत ने 2014 के बाद तिब्बत मुद्दे पर अपना रुख बदल लिया है। राष्ट्रपति त्सेरिंग बाइडेन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों और अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों से मिलने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं। एक सवाल के जवाब में, उन्होंने कहा कि तिब्बत पर जवाहरलाल नेहरू के फैसले उनकी अपनी विश्व दृष्टि के कारण थे और उन्हें "चीन में बहुत अधिक विश्वास और भरोसा" था। राष्ट्रपति त्सेरिंग ने कहा, "मैं ऐसा करने के लिए केवल पंडित नेहरू को दोष नहीं देता। हम समझते हैं कि राष्ट्रीय हित हर देश के लिए सबसे पहले आता है और उन्होंने उस समय भारत के लिए जो सबसे अच्छा सोचा था, वह किया।" कई अन्य देशों ने भी तिब्बत राष्ट्र पर चीन के दावे को स्वीकार किया।
उन्होंने दावा करते हुए कहा, "अब कई लोग सोचते हैं कि पंडित नेहरू ने एक बड़ी गलती की थी। असल में, उन्होंने चीन पर इतना भरोसा किया कि जब चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण किया, तो कुछ का मानना है कि वह इतने आहत हुए कि यह उनकी मृत्यु के कारणों में से एक बना।" चीनियों पर ऐसा भरोसा था कि 1950 के दशक में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चीन के माओत्से तुंग से मिले थे, तो उन्होंने "हिंदी-चीनी भाई भाई" का नारा दिया था।
तिब्बती राष्ट्रपति ने आगे कहा कि 2014 के बाद से भारत में चीजें बदल गई हैं। राष्ट्रपति त्सेरिंग ने कहा, "मुझे लगता है कि भारत ने तिब्बत पीआरसी (पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना) का हिस्सा नहीं दोहराकर अपनी (नेहरू की) नीति बदल दी है क्योंकि भारत की स्थिति यह है कि अगर भारत 'एक चीन' नीति का पालन करेगा तो, फिर चीन को भी कश्मीर और लद्दाख के संबंध में 'एक भारत' नीति का पालन करना होगा।"
पूर्वी लद्दाख के गलवान और डोकलाम में चीनी आक्रमण की ओर इशारा करते हुए तिब्बती राष्ट्रपति ने कहा, "जब चीनी विदेश मंत्री कुछ हफ्ते पहले (भारत आए) थे, तो यह एक ट्रांजिट यात्रा की तरह था … उस यात्रा से कुछ भी नहीं निकला। यह तिब्बत और चीन के प्रति भारत की नीति को भी दर्शाता है।" वाशिंगटन डीसी में, राष्ट्रपति त्सेरिंग ने अब तक हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी से मुलाकात की है। उन्होंने व्हाइट हाउस और अमेरिकी कांग्रेस से चीन के खिलाफ वैश्विक गठबंधन बनाने में मदद करने और तिब्बत पर इसके आख्यान को चुनौती देने का आग्रह करते हुए कहा, "रूसी आक्रमण के कारण यूक्रेन अब वैश्विक चर्चा का स्थान है, लेकिन बाइडेन प्रशासन तिब्बत को नहीं भूला है।"