वॉशिंगटन
यूक्रेन के खिलाफ रूस के करीब दो लाख सैनिक, टैंक, मिसाइलों की तैनाती के बाद अब पड़ोसी देश पोलैंड को भी व्लादिमीर पुतिन के कहर का डर सताने लगा है। पोलैंड ने रूसी सेना के आक्रमण की सूरत में करारा जवाब देने के लिए अमेरिका से दुनिया सबसे घातक टैंक कहे जाने वाले अबराम को खरीदने जा रहा है। अमेरिका के विदेश विभाग ने 6 अरब डॉलर में 250 अब्राम्स टैंक देने के सौदे को मंजूरी दे दी है। इन टैंकों के पोलैंड की सेना में शामिल होने के बाद उसकी जमीनी हमला करने ताकत काफी बढ़ जाएगी।
पोलैंड ने पहले ही जर्मनी से 250 लेपर्ड 2एस टैंक खरीद रखे हैं। अमेरिका के विदेश विभाग ने इस सौदे को ऐसे समय पर मंजूरी दी है जब यूरोप जंग के मुहाने पर है। यूक्रेन की सीमा पर रूस ने करीब दो लाख सैनिकों को तैनात कर रखा है। अमेरिका को डर सता रहा है कि कभी भी रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी है कि रूसी सेना की तैयारी देखकर लग रहा है कि पुतिन यूरोप में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सबसे भीषण हमले की तैयारी कर रहे हैं।
जानें, कितना खतरनाक है अमेरिका का अबराम टैंक
इन टैंकों की बिक्री के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को सूचना दे दी गई है। इस डील में कहा गया है कि 250 अत्याधुनिक अबराम टैंक और हथियारबंद वाहन पोलैंड को दिए जाएंगे। अबराम दुनियाभर में युद्ध के दौरान अपनी ताकत का लोहा मनवा चुके हैं और इसमें ताजा अपडेट के बाद ये अब जर्मनी के लेपर्ड टैंक से भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए हैं। एम-1 ए-2 अबराम (अब्राम) अमेरिकी सेना का मुख्य युद्धक टैंक (MBT) है। इस टैंक का इस्तेमाल अमेरिका के अलावा सऊदी अरब, इराक, कुवैत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाएं भी करती हैं। इस टैंक को जनरल डायनेमिक्स लैंड सिस्टम्स ने पहली बार 1978 में बनाया था।
इसके बाद समय-समय पर इसमें अपग्रेडेशन का काम किया जाता रहा है। इस टैंक ने फारस की खाड़ी युद्ध, अफगानिस्तान में युद्ध, इराक युद्ध, 2011 की मिस्र की क्रांति, इराकी गृहयुद्ध, यमन में सऊदी अरब के नेतृत्व में किए गए हमले में अपनी ताकत को दिखाया है। इस टैंक में मुख्य हथियार के रूप में 120एमएम की M256 स्मूथबोर गन लगी हुई है। यह गन 3000 मीटर (3 किलोमीटर) तक मार करने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें 120 मिमी की बंदूक भी लगी हुई है, जो किसी लो फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को मार गिरा सकती है। इस टैंक में यूरेनियम ऑर्मर लगा हुआ है, जो दुश्मन के हमले को नाकाम कर देता है। खाड़ी युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने 1,848 टैंक तैनात किए लेकिन दुश्मन इनमें से एक को भी तबाह नहीं कर पाए थे।