ढाका
बांग्लादेश में अब नए निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के सवाल पर सत्ताधारी अवामी लीग पार्टी वामपंथी दलों का भी समर्थन हासिल करने में नाकाम रही है। मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने पहले ही इस पर सहमति देने से इनकार कर दिया था। अब वामपंथी दलों ने भी इस प्रक्रिया को ठुकरा दिया है। धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने के नाते अवामी लीग को अकसर वाम दलों का समर्थन मिलता रहा है। लेकिन इस मुद्दे पर इन दलों ने भी संविधान के प्रावधान के मुताबिक आयोग की नियुक्ति की मांग कर दी है।
बीएनपी ने कहा कि नए निर्वाचन आयोग के गठन के सवाल पर चल रही बातचीत की प्रक्रिया एक मखौल है। यह प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद के मन माफिक लोगों को शामिल कर नया आयोग नियुक्त करने की एक कोशिश भर है। बीएनपी ने इस मामले में सीधे राष्ट्रपति को निशाने पर लिया है। पार्टी के वरिष्ठ संयुक्त सचिव जनरल कबीर रिजवी ने कहा- ‘हम ट्रेन और बसों में देखते हैं कि अपनी चीज बेचने के लिए विक्रेता मनोरंजक कहानियां सुना कर लोगों का ध्यान खींचते हैं। राष्ट्रपति भी उसी तरह के एक हॉकर बन गए हैं। वे भी वार्ता के नाम पर वैसा ही काम कर रहे हैं।’
उधर वामपंथी दलों के गठबंधन लेफ्ट डेमोक्रेटिक एलायंस ने सरकार से मांग की कि वह संवैधानिक प्रावधानों का पालन करते हुए नए निर्वाचन आयुक्त का गठन करे। इस गठबंधन में नौ पार्टियां शामिल हैं। गठबंधन के को-ऑर्डिनेटर सैफुल हक ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश के कार्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राष्ट्रपति जो वार्ता प्रक्रिया चला रहे हैं, उसका कोई परिणाम नहीं होगा। हक ने कहा कि राष्ट्रपति निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक सर्च कमेटी बनाना चाहते हैं। लेकिन ऐसी कमेटी जो भी नाम सुझाएगी, उस पर आम सहमति नहीं बन सकेगी। इस तरह इस प्रक्रिया से तटस्थ निर्वाचन आयोग का गठन होना संभव नहीं है।
इस गठबंधन में शामिल तीन दल पहले ही इस सिलसिले में राष्ट्रपति एम अब्दुल हमीद से मुलाकात करने से इनकार कर चुके हैं। उन तीन दलों में कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा सोशलिस्ट पार्टी ऑफ बांग्लादेश और रिवोल्यूशनरी वर्कर्स पार्टी शामिल हैं। सैफुल हक ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक आयोग के गठन के लिए संसद से कानून पारित कराया जाना चाहिए। फिर उस कानून के प्रावधानों के मुताबिक आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति एम अब्दुल हमीद ने नए निर्वाचन आयोग के गठन के लिए बीते 20 दिसंबर को पार्टियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन सत्ताधारी अवामी लीग के अलावा ज्यादातर बड़ी पार्टियों ने इस सिलसिले में उनका आमंत्रण ठुकरा दिया है। राष्ट्रपति ने कुल 32 पार्टियों को न्योता भेजा था। उनमें से 17 पार्टियों ने उनके पास अपने प्रतिनिधि भेजे। लेकिन अवामी लीग के अलावा उनमें से ज्यादातर छोटी पार्टियां हैं।