हाइडेलबर्ग (जर्मनी)
ड्रग की आदत छुड़ाने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। फिर भी यह एक बड़ी समस्या बनी हुई है। लेकिन एक ताजा शोध में पाया गया है कि कोशिकाओं में एक ऐसा मालीक्यूलर स्वीच होता है, जो व्यसन संबंधी व्यवहार को रेगुलेट करने के साथ ही यह भी निर्धारित करता है कि ड्रग की प्रतिक्रिया कितनी तेज होगी। यह शोध ईएमबीओ रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है। हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी और फ्रांस में पेरिस की सोरबोन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की टीम ने यह खोज चूहों पर कोकीन के प्रयोग के जरिये की है। प्रोफेसर डाक्टर हिल्मर बडिंग (हाइडेलबर्ग) और प्रोफेसर डाक्टर पीटर वैनहौटे (पेरिस) के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने यह दर्शाया है कि प्रोटीन एनपीएएस4 तंत्रिका कोशिकाओं (नर्व्स सेल्स) की संरचना और उसके कामकाज को रेगुलेट करता है, जो चूहों में व्यसन की आदत (ड्रग एडिक्शन) संबंधी व्यवहार को कंट्रोल करता है। प्रयोग के दौरान पाया गया कि यदि एनपीएएस4 की मात्रा कम होती है तो जीव में कोकीन के प्रति रेस्पांस काफी कम होता है।
शोध के मुख्य लेखक थामस लिस्सेक ने बताया है कि एनीमल माडल में एनपीएएस4 ड्रग अब्यूज (मादक पदार्थो का दुरुपयोग) की संवेदनशीलता के लिए रेगुलेटर की तरह काम करता है। इसलिए हमें उम्मीद है कि हमारे शोध से इंसानों में एडिक्शन मामले में समझ बढ़ेगी और उसके आधार पर इलाज के नए तरीके ढूंढ़े जा सकेंगे। विज्ञानी जीन ट्रांसक्रिप्शन में न्यूरान की गतिविधियों से संबंधित मालीक्यूलर सिग्नलिंग पर शोध कर रहे हैं। उनके अनुसार, उपरोक्त निष्कर्ष एडिक्शन संबंधी व्यवहार के लिए जैविक आधार के अस्तित्व को भी उसी प्रकार से रेखांकित करता है, जैसा कि डायबिटीज या कार्डियोवस्कुलर डिजीज में होता है। एनपीएएस4 प्रोटीन एक ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर की तरह काम करता है। थामस लिस्सेक ने बताया कि हम यह देख सकते हैं कि एनपीएएस4 एक कंडक्टर की तरह काम करता है, जो इसका संयोजन करता है कि कोशिकाओं में कौन सा और कितने अन्य मालीक्यूल पैदा होंगे।
एनपीएएस4 का लक्षित मालीक्यूल प्राथमिक तौर पर तंत्रिका कोशिकाओं में विद्युतीय गतिविधियों के पैटर्न तथा उसकी संरचना को रेगुलेट करता है। साथ ही उनके बीच संपर्क ¨बदुओं को भी प्रभावित करता है। पाया गया कि जब एनपीएएस4 की मात्र कम कर दी जाती है तो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संपर्क खत्म हो जाता है। इसके बाद चूहों में कोकीन के प्रति रेस्पांस कम हो जाता है।इस प्रयोग में यह भी देखा गया कि एनपीएएस4 एक खास रेगुलेशन मैकेनिज्म के तहत काम करता है। यह प्रोटीन तंत्रिका कोशिकाओं की केंद्रिका में सिर्फ कैल्शियम की मात्र बढ़ाए जाने से सक्रिय किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, डोपामाइन रीसेप्टर्स से एनपीएएस4 की मात्र नहीं बढ़ती है। यह रीसेप्टर्स एडिक्शन में अहम भूमिका अदा करता है। शोधकर्ताओं ने इंसानों के स्टेम सेल से विकसित किए गए न्यूरान में भी इसी प्रकार के गुण पाए जाने की पुष्टि की है। एनपीएएस4 की यह असामान्य रेगुलेशन मैकेनिज्म मौलिक जैविक शोध और एडिक्शन का इलाज ढूढ़ने में भी दिलचस्प होगा।