संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासभा ( United Nations General Assembly) ने विश्व के शीर्ष मानवाधिकार संगठन (UN Human Rights Council) से रूस को निलंबित करने के लिए बृहस्पतिवार को मतदान किया. यूक्रेन में रूसी सैनिकों द्वारा मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन करने के आरोपों को लेकर यह कार्रवाई की गई. अमेरिका और यूक्रेन ने रूसी सैनिकों के इस कृत्य को युद्ध अपराध करार दिया है. रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Rights Council) से निलंबित करने के प्रस्ताव के पक्ष में संरा महाससभा में 93 सदस्य देशों ने, जबकि इसके विरोध में 24 सदस्य देशों ने मतदान किया. वहीं, 58 सदस्य देश मतदान से अनुपस्थित रहें. वहीं, भारत (INdia) ने संरा मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने पर मतदान में भाग नहीं लिया.
यूएनएचआरसी की सदस्यता से हटने वाला रूस दुनिया का दूसरा देश
उल्लेखनीय है कि रूस दूसरा देश है जिसकी यूएनएचआरसी सदस्यता छीन ली गई है. महासभा ने 2011 में लीबिया को परिषद से निलंबित कर दिया था. रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन के बुचा शहर में की गई नागरिकों की हत्याओं की तस्वीरें एवं वीडियो सामने आने के बाद अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने 47 सदस्यीय मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने का अभियान शुरू किया था.
मंगलवार को गुप्त मतदान में महासभा के 193 सदस्यों में से 180 सदस्यों ने मतपत्र जमा किए। नतीजा यह रहा कि 157 देश चेक गणराज्य के पक्ष में रहे और 23 अनुपस्थित रहे।
महासभा ने सात अप्रैल को रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने के लिए 24 के मुकाबले 93 वोट से मंजूरी दी थी। इस दौरान 58 सदस्य अनुपस्थित रहे। परिषद से रूस को निलंबित करने का प्रस्ताव अमेरिका ने रखा था।
भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया
भारत ने संरा मानवाधिकार परिषद से रूस को निलंबित करने पर मतदान में भाग नहीं लिया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मतदान के बाद कहा, “भारत ने आज महासभा में रूस महासंघ को मानवाधिकार परिषद से निलंबित करने से संबधित प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया. हमने तर्कसंगत और प्रक्रिया सम्मत कारणों से यह किया.” उन्होंने कहा, “यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक भारत शांति, संवाद और कूटनीति का पक्षधर रहा है. हमारा मानना है कि रक्त बहाने और निर्दोष लोगों के प्राण लेने से किसी समस्या का समाधान नहीं निकल सकता. यदि भारत ने कोई पक्ष लिया है तो वह है शांति और हिंसा का तत्काल अंत.”