यूक्रेन
यूक्रेन में बिगड़ते हालात को लेकर भारत ने यूएनएससी में चिंता जाहिर की है। भारत ने कहा कि यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे युद्ध के बीच मानवीय कृत्यों को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। यूएन में भारत की ओर से बोलते हुए टीएस त्रिमूर्ति ने कहा कि भारत ने मानवीय मदद के लिए यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों को सात खेप भेजी है। मानवता के आधार पर लोगों की मदद की जा रही है, यह बिना किसी भेदभाव के लोगों तक पहुंचाई जा रही है, इन प्रयासों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।
यूक्रेन के मसले पर चर्चा के दौरान यूएन में त्रिमूर्ति ने कहाकि यूक्रेन में बिगड़ते हालात और मानवीय संकट को तुरंत सुलझाने की जरूरत ही। यूएन के आंकड़े के अनुसार तकरीबन 15 लाख शरणार्थियों ने शरण पड़ोसी देश में ली है। इसके चलते एक बड़ा मानवीय संकट खड़ा हुआ है,जिस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। भारत लगातार इस तनाव को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए लगातार अपील कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों ही देशों के नेताओं से बात की है और तत्काल सीजफायर की अपील भी की है। दोनों देशों से बातचीत के जरिए समाधान निकालने की भी पीएम मोदी ने अपील की है।
रूस ने गैर दोस्ताना देशों की लिस्ट बनाई, अमेरिका, यूके सहित तमाम देश शामिल त्रिमूर्ति ने कहा कि रूस और यूक्रेन के साथ तमाम कोशिश के बाद भी सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अभी तक कोई रास्ता सामने नहीं आ सका है, इन छात्रों को बाहर निकालने के लिए सुरक्षित कोरिडोर अभी तक नहीं मिल सका है। भारत ने सुरक्षित कोरिडोर की मांग की है ताकि मासूम नागरिकों और छात्रों को यूक्रेन से बाहर निकाला जा सके। हम इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि दोनों देशों के साथ कई बार की अपील के बाद भी सूमी से भारतीय छात्रों को बाहर निकालने के लिए सुरक्षित कोरिडोर तैयार नहीं किया गया। मानवीय संवेदनाओं पर बल देते हुए त्रिमूर्ति ने कहा कि मानवता से जुड़े काम निष्पक्षता के सिद्धांत पर आधारित होने चाहिए। हम अभी तक 20 हजार से अधिक भारतीयों को यूक्रेन से सुरक्षित बाहर निकाल चुके हैंष भारत ने दूसरे देशों के नागरिकों को भी यूक्रेन से बाहर निकालने में मदद की है। भारत ने यूक्रेन और पड़ोसी देशों में दवा, पानी, टेंट, सहित तमाम राहत सामग्री को भेजा है। हम और भी जरूरत के सामान यहां भेजेंगे।