रूस और अमेरिका आखिर क्या चाहते हैं यूक्रेन पर, व्लादिमीर पुतिन का क्या है प्लान

न्यूयॉर्क
यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। एक्सपर्ट्स मानते हैं दुनिया को पश्चिम और मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप में रूसी प्रभाव का सम्मान करना चाहिए। 2000 में सत्ता में आने के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोवियत संघ के टूटने को अपमानजनक माना है और इसे व्यवस्थित करने के लिए लगातार काम किया है।

पुतिन क्या कह रहे हैं?
रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर एक लाख से अधिक सैनिकों की तैनाती कर दी है। व्लादिमीर पुतिन की मांग है कि यूक्रेन को नाटो गठबंधन में नहीं शामिल किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि पूर्व सोवियत ब्लॉक देशों में सैनिकों की तैनाती के रूप में कटौती की जाए। नाटो ने पुतिन की इन मागों को मानने से इनकार करते हुए कहा है कि गठबंधन में शामिल होना किसी देश का अधिकार है। इससे रूस को कोई खतरा नहीं है। पुतिन के आलोचकों का मानना है कि पुतिन सरकार को डर नाटो नहीं है। उन्हें डर है कि एक लोकतांत्रिक और समृद्ध यूक्रेन रूसियों को आकर्षित कर सकता है जो रूस में पुतिन के शासन के विकल्प की पेशकश कर सकता है। साल 2021 में पुतिन ने यूक्रेन और बेलारूस को लेकर कहा था कि  रूस ने इन देशों का विभाजन आर्टिफिशियल है। 2014 से इन देशों में रूस विरोधी सरकार बैठी है जिसे वाशिंगटन लगातार सपोर्ट कर रहा है।

बाइडेन की चिंताएं
रूस को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बेहद चिंतित हैं और यूक्रेन उनके लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गया है। पहले से ही कोविड, इन्फेल्शन, चुनाव, जलवायु आदि को लेकर बैकफुट पर बाइडेन के सामने यूक्रेन एक और चुनौती है। उन्होंने यूक्रेन की मदद करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है और कूटनीति की मदद ले रहे हैं। उन्होंने रूस के खिलाफ पश्चिम के देशों को एकजुट करने की कोशिश की है। उन्होंने मॉस्को से कहा है कि रूस अगर यूक्रेन पर हमला करता है तो हम ऐसे प्रतिबंध लगाएंगे जो रूस ने कभी देखे नहीं होंगे। रूस ने लगातार यूक्रेन पर हमला किया है। 2014 में रूस ने यूक्रेन के क्रीमिया इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद से रूस ने यूक्रेन में रूस समर्थक यूक्रेनी अलगाववादियों को जमकर सपोर्ट किया है। इस युस्द्ध में 14 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मारे गए लोगों में तीन हजार से अधिक आम नागरिक थे।

बेलारूस और कजाकिस्तान का मामला
बेलारूस में विवादित चुनाव नतीजे को लेकर बेलारूसी नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको के खिलाफ महीनों तक बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए। ऐसे वक्त में रूस ने अलेक्जेंडर लुकाशेंको की हर संभव मदद की थी। इसी तरह कजाकिस्तान में नागरिक के भयंकर विरोध-प्रदर्शन के बाद रूस ने शांति मिशन को कजाकिस्तान भेजा और कजाकिस्तान में शांति बहाल करने की कोशिश की है।

पुतिन का मुख्य मकसद क्या है?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि रूस एक बार फिर पूर्व सोवियत देशों से बेहतर संबंध बनाना चाहता है और पश्चिम को चुनौती देना चाहता है। पुतिन ने कई मौकों पर कहा है कि हम अपने ऐतिहासिक क्षेत्रों और वहां रहने वाले हमारे करीबी लोगों को रूस के खिलाफ इस्तेमाल होने की इजाजत कभी नहीं देंगे।