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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फ्रांस और जर्मनी के नेताओं को बताया कि उन्होंने यूक्रेन के दो पूर्वी अलगाववादी क्षेत्रों को स्वतंत्र घोषित करने की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि रूस ने दो राज्यों को स्वतंत्र घोषित कर भी दिया है। ऐसे में रूस और यूक्रेन के साथ-साथ पश्चिमी देशों में तनाव बढ़ने की भी संभावना है। अमेरिका का कहना है कि रूस 1 लाख 90 हजार सैनिकों के साथ यूक्रेन पर हमला करने की योजना बना रहा है।
क्या हैं अलगाववादी क्षेत्र?
यूक्रेन के डोनेत्स्क और लुहान्स्क में रूस समर्थिक अलगवावादी रहते हैं और इन दोनों क्षेत्रों को मिलाकर डोनबास के नाम से जाना जाता है। यह क्षेत्र 2014 में ही यूक्रेन सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गया था और वे खुद को 'पीपल्स रिपब्लिक' मानते हैं। यूक्रेन का कहना है कि यहां लड़ाई में 15 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं। रूस अलग-अलग तरह से यहां के अलगाववादियों को समर्थन करता था। रूस ने यहां के लोगों को लगभग 80 लाख पासपोर्ट दिए। इसके अलावा रूस इनके लिए वैक्सीन, आर्थिक मदद और अन्य सामग्रियों की भी व्यवस्था करता रहा है।
रूस के द्वारा मान्यता देने का क्या है मतलब
रूस कहता है कि वह डोनबास को यूक्रेन का हिस्सा नहीं मानता है। रूस इस इलाके में अपनी सेना भेजता रहता है और कहता है कि यूक्रेन से इन लोगों की सुरक्षा के लिए ऐसा किया जा रहा है। पिछले महीने यहां के अलगाववादियों ने रूस से मदद मांगी थी। इस वजह से यहां यूक्रेन और रूस के सैनिकों के बीच टकराव बढ़ने की संभावना है।
क्या है मिन्स्क पीस प्रॉसेस?
2014-15 में एक समझौता हुआ था जिसे मिन्स्क पीस अग्रीमेंट कहा जाता है। रूस ने इस समझौते का उल्लंघन किया है। इसके तहत आपसी बातचीत के जरिए समस्या का हल निकालने की बात की गई थी। लेकिन दोनों ही देशों ने इसका पालन नहीं किया। रूस जॉर्जिया के साथ भी 2008 में ऐसा कर चुका है। उसने एक छोटा युद्ध छेड़ा और जॉर्जिया के दो क्षेत्रों को अपने में मिला लिया। रूस की तब भी खूब आलोचना हुई थी।