भोपाल
भोपाल के केन्द्रीय जेल में 35 बुजुर्ग कैदी ऐसे हैं, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है, लेकिन इन्हें मुक्ति का इंतजार है। क्योंकि जुर्माना राशि भरने वाला कोई नहीं है। ऐसे में इन कैदियों को उद्धारक की तलाश है, जो इनकी जुर्माना राशि भरकर इन्हें मुक्त करा सके। जुर्माना राशि नहीं भरने की सूरत में इन्हें अतिरिक्त कारावास काटनी पड़ रही है। इनके अपनों ने आजीवन कारावास के चलते सारे रिश्ते तोड़ लिये हैं। कुछ इतने गरीब हैं कि उनके परिवार के पास जुर्माना राशि भरने की कूबत नहीं है। सजा काट चुके कैदियों का भार सरकार को अतिरिक्त न उठाना पड़े इसके लिये प्रबंधन कैदियों के उद्धारक की तलाश कर रहा है। ये सभी 35 कैदी आजीवन कारावास सहित 20 साल की सजा काट चुके हैं। यदि ये कैदी जुर्माने की राशि नहीं भर पाये, तो इन्हें 6 माह और जेल में ही रहना पड़ेगा। यानी इनकी रिहाई इसी माह 26 जनवरी को न होकर आगामी 15 अगस्त 2022 को होगी।
मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, जेल विभाग, मंत्रालय, भोपाल, महानिदेशक (डीजी) जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं, मध्यप्रदेश सहित केन्द्रीय जेल, भोपाल के अधीक्षक से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि इन मुल्जिमों को किस धारा में कितनी सजा दी गई थी ? ये अब तक कितनी सजा काट चुके हैं ? क्या विधिक सेवा प्राधिकरण (लीगल सर्विस अथाॅरिटी) के माध्यम से रिट पिटीशन लगाने का प्रयास किया गया है।