प्रदेश में लापरवाही बरतने पर 4 अधिकारी निलंबित, 54 मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस सस्पेंड

भोपाल
प्रदेश (MP) में लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों  पर कार्रवाई का सिलसिला जारी है। इसके साथ ही राज्य शासन द्वारा तय किए गए नियम के विरुद्ध गतिविधि के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है। दरअसल आष्टा के जनपद पंचायत इन दिनों काफी सुर्खियों में बना हुआ है। बीते दिनों तत्कालीन सीईओ डीएन पटेल  कर सकते थे। वीडियो वायरल (Video viral) होने के बाद अब Collector के प्रतिवेदन पर अपर कमिश्नर द्वारा Suspend की बड़ी कार्रवाई की गई है।

दरअसल जनपद पंचायत प्रभारी सीईओ सिद्ध गोपाल वर्मा ने जनपद कार्यालय में निर्धारित समय से नहीं आने वाले 8 कर्मचारियों पर वेतन काटने के आदेश जारी कर दिए थे। इसके बाद से कर्मचारियों के बीच शिव सिद्ध गोपाल वर्मा पर गंभीर आरोप लगाने के साथ ही साथ उन पर कार्रवाई की मांग की गई है।

इस मामले में सीईओ सिद्ध गोपाल वर्मा का कहना है कुछ दिनों से कार्यालय में कर्मचारी समय पर नहीं आ रहा है। इसकी शिकायत मिलने के बाद मनी कार्यालय का निरीक्षण किया और 8 कर्मचारी नदारद दिखे। जिसके बाद 1 दिन के वेतन काटने के आदेश जारी करने के निर्देश दे दिए गए हैं। जिसके बाद अब कर्मचारी अमर्यादित भाषा का उपयोग कर रहे हैं और उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताया है।

सांची : वही सांची में स्वच्छता की बैठक लेने पहुंचे नगर पालिका प्रशासक और एसडीएम के सामने भी अनियमितता का मामला सामने आया है। जिसके बाद एसडीएम ने जांच की कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही साथ स्वच्छता अभियान में गड़बड़ी करने के मामला गरमाने के बाद जांच में दोषी पाए गए तत्कालीन सीएमओ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।

दरअसल एसडीएम के समक्ष फागिंग मशीन में डीजल खरीदने के मामले में अनियमितता की बात सामने आई थी जिसके बाद जांच के आदेश दिए गए थे नगर परिषद में डीजल में गड़बड़ी की जानकारी एसडीएम एलके खरे ने सीएमओ से ली।जिसमें आई जानकारी के मुताबिक शाखा प्रभारी ने श्रमिकों के नाम डीजल की पर्ची बनाकर गड़बड़ी की है। इस मामले में श्रमिकों शाखा प्रभारी बनाया गया। जो संदेह के घेरे में आ गया।

इसके बाद दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी शाखा प्रभारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि किसी भी शाखा प्रभारी का कोई लिखित आदेश उन्हें नहीं दिया गया है। जिसके बाद इस मामले में कड़ी जांच के आदेश दिए गए हैं। साथ ही साथ वर्तमान सीएमओ आरडी शर्मा का कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है। जो भी दोषी होगा। उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि इससे पहले तत्कालीन सीएमओ को इसी मामले में निलंबित कर दिया गया है।

श्योपुर : वही श्योपुर कलेक्टर द्वारा एक बड़ी कार्रवाई की गई है जहां निरीक्षण के दौरान शासकीय सुविधाओं के बारे में ग्रामीणों से जानकारी ली गई। वही कन्या आश्रम ककरधा के अधीक्षका के अनुपस्थित पाए जाने के बाद उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है। इस अवसर पर अपर कलेक्टर टीएन सिंह एसडीएम लोकेंद्र सरल भी उपस्थित रहे हैं।

दरअसल इस मामले में कलेक्टर शिवम वर्मा का कहना है कि ककरधा में प्राथमिक माध्यमिक और अनुसूचित जाति जनजाति कन्या आश्रम का निरीक्षण किया गया। वहीं निरीक्षण के दौरान अधीक्षिका ललिता चौहान अनुपस्थित पाई गई। वहीं छात्रावास की व्यवस्था एवं संचालन ठीक ढंग से नहीं किए जाने के कारण उन पर निलंबन के आदेश दिए गए हैं।

रतलाम : वहीं दूसरी कार्रवाई रतलाम जिले में की गई है जहां घर-घर से कचरा उठाए जाने और शहर में कचरा और गंदगी सुधार के लाख दावे किए जा रहे हैं पर यही सभी दावे कागजी हैं। दरअसल इस बार कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने शिक्षा सर्वेक्षण 2022 की तैयारी को लेकर निगम अधिकारी कर्मचारी की बैठक की।

वहीं सफाई मित्र के कार्य नहीं, उनकी सफाई का रूट और एरिया निर्धारित नहीं किए जाने पर कलेक्टर ने प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी जीके जायसवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके साथ ही साथ कलेक्ट्रेट अधिकारी कर्मचारियों को स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 की तैयारियों को पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

उज्जैन : अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई उज्जैन जिले में की गई है। जहां ड्रग एक्ट के तहत मेडिकल स्टोर का संचालन नहीं करने के कारण ड्रग विभाग ने 54 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। जिसके बाद अब दवा बाजार के होलसेल इन मेडिकल स्टोर स्कोर दवाई की सप्लाई नहीं कर सकेंगे वहीं दवाइयों का विक्रय करने पर शासन के दिशा निर्देश का पालन न करने और और वैधानिक कार्य शैली अपनाने के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है।

बता दें कि Drug विभाग द्वारा इन मामलों की जांच की गई थी। जिसमें किसी भी मेडिकल पर फॉर्मेलिस्ट नहीं है। इसके साथ ही यह मेडिकल स्टोर समय पर संचालित नहीं होते हैं। मेडिकल स्टोर में जनरल स्टोर भी संचालित किए जा रहे। जिसके Drug विभाग ने उन्हें नोटिस जारी किया था लेकिन मेडिकल संचालकों और इसका जवाब भी पेश नहीं किया गया। जिसके बाद उनके लाइसेंस निलंबित कर यह कार्रवाई की गई है।