सीहोर
सीहोर में लगातार दूसरे साल 7 दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव का आयोजन 28 फरवरी से किया जाएगा। कार्यक्रम चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर और कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में शिवपुराण कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में होगा। यह आयोजन सुख-समृद्धि की कामना और धर्म को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। दैनिक भास्कर ने पं. मिश्रा से खास बातचीत की।
पं. मिश्रा ने बताया कि महाशिवरात्रि पर आगामी 28 फरवरी से मंदिर परिसर में रुद्राक्ष महोत्सव और श्री शिव महापुराण कथा होगी। इस दौरान श्रद्धालुओं को 7 दिनों में 11 लाख से अधिक अभिमंत्रित रुद्राक्ष वितरण किया जाएगा। मंदिर परिसर में ही श्रद्धालुओं के रहने आदि की व्यवस्था की जा रही है। आयोजन में आधा दर्जन प्रदेशों के कलाकारों की टीम फाग उत्सव की प्रस्तुति देगी।
रुद्राक्ष मतलब रुद्र का अक्ष यानी आंसू
पं. मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण में एक मुखी से लेकर 14 मुखी रुद्राक्ष के बारे में बताया गया है। भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। रुद्राक्ष मतलब रुद्र का अक्ष यानी आंसू। पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। माना जाता है कि रुद्राक्ष इंसान को हर तरह की हानिकारक ऊर्जा से बचाता है। इसका इस्तेमाल सिर्फ तपस्वियों के लिए ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन में रह रहे लोगों के लिए भी किया जाता है।
उन्होंने बताया कि रुद्राक्ष के यूं तो कई फायदे हैं, लेकिन रुद्राक्ष को लेकर यह भी धारणा है कि मंत्र जाप और ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए रुद्राक्ष को सबसे उत्तम बताया गया है। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि रुद्राक्ष को धारण कर शनि दोष को दूर किया जा सकता है। रुद्राक्ष के कुछ खास उपाय से कुंडली में मौजूद शनि के अशुभ योग भी खत्म हो जाते हैं। रुद्राक्ष में वो शक्ति है जो अपने धारक को हर तरह की परेशानी से लड़ने की क्षमता देता है और उनको दूर करता है।
आयोजन की तैयारियां जारी
विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि आगामी 28 फरवरी से होने वाले भव्य रुद्राक्ष महोत्सव को लेकर तैयारियां जारी हैं। महोत्सव के लिए व्यास गादी आदि की व्यवस्था। इसके अलावा विशाल डोम पंडाल सहित आकर्षक साज-सज्जा की जा रही है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के रहने आने की व्यवस्था नि:शुल्क की जाएगी।