( अमिताभ पाण्डेय )
भोपाल । ( अपनी खबर ) राजस्थान की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी समाचार पत्र,पत्रिकाओं के टाइटल(RNI) मंगाने वालों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य किया जाए। जिन लोगों के विरुद्ध अपराधिक मामले दर्ज हैं उनके नाम पर पेपर , पत्रिका का पंजीयन नहीं किया जाए। अपराधिक मामले में नाम आने पर अधिमान्यता भी तत्काल समाप्त की जाए।
यह मांग प्रिंट मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन(PMJA) के प्रदेश अध्यक्ष रघु मालवीय एवं प्रदेश प्रवक्ता एलेक्जेंडर वॉन ने केंद्र और राज्य शासन से की है।
उन्होंने इस संबंध में आज जिला कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर राजेश कुमार गुप्ता को ज्ञापन सौंपा।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों कोई भी खुद को पत्रकार बताने के लिए पेपर , पत्रिका का पंजीयन आसानी से करवा लेता है। पंजीयन के बाद लोग अपने आप को पत्रकार बताकर समाज और सरकार में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास करते हैं। इनमें से कई तो ऐसे भी होते हैं जिनको पत्रकारिता की कोई जानकारी नहीं होती । न उनका पढ़ने , लिखने से कोई संबंध होता है।
ऐसे लोग पत्रकारिता के पेशे को बदनाम कर रहे हैं जिनकी पहचान करना बहुत जरूरी है।यहां यह बताना भी जरूरी है कि सरकारी विज्ञापन से मुफ्त की कमाई करने के लालच में इन दिनों राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के प्रमुख शहरों में समाचार पत्र और पत्रिकाओं के नये शीषर्क मंगवाने की बाढ़ सी आ गई है। हर कोई संपादक बनने पर तुला हुआ है।
राजधानी भोपाल के एसडीएम कार्यालयों में रोजाना बड़ी तादाद में सील साइन के लिए फार्म पहुंच रहे है। इसमें यह भी देखने में आ रहा है कि इनमें कई लोगों ने 5-5,10-10 टाइटल अप्लाई कर रहा है। वहीं कुछ लोग पहले से पांच से दस-दस टाइटलों पर विज्ञापन ले रहे है,इस भर्राशाही पर भी रोक लगाई जाए। सरकारी आंकड़ो के मुताबिक भोपाल का हाल यह हो गया है कि यहां की अधिकांश प्रिंटिंग मशीनों की छपाई क्षमता फुल (ब्लैक लिस्ट) हो चुकी है*। यानि अब इन प्रिंटिंग प्रेसों के पास एक भी अतिरिक्त अखबार छापने की क्षमता नही बची है। इस बार गणतंत्र दिवस पर आनलाइन आवेदनों की भी संख्या बढ़ गई है। भोपाल में लगातार बढ़ती समाचार पत्र पत्रिकाओं की संख्या से जनसम्पर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी चिंतित है।