रायसेन
गुरुवार देर शाम भोजपुर महोत्सव के तहत कवि सम्मेलन हुआ। इसके साथ ही तीनदिवसीय भोजपुर महोत्सव का समापन हो गया। मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा भोजपुर में आयोजित महोत्सव में गुरुवार को रायपुर की भारती सिंह एवं साथियों द्वारा शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी गई। इसके साथ ही कार्यक्रम में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर कवि डॉ. कुमार विश्वास, नई दिल्ली, मदन मोहन समर, भोपाल, शंभू शिखर, नोयडा, कवयित्री शिखा दीप्ति नोएडा, संदीप शर्मा, धार शामिल रहे।
कवि सम्मेलन के दौरान कुमार विश्वास ने माइक खराब होने पर मंच से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि चाहे मुझे पैसे कम दे देते, लेकिन व्यवस्थाएं तो अच्छी रखना चाहिए। दरअसल जब वे अपनी कविता सुनाने पहुंचे तो माइक उनके अनुरूप ठीक नहीं था। इस पर उन्होंने चुटकी ले ली कि लगता है इसके टेंडर में कोई घोटाला है। उनके इस चुटीले अंदाज ने दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया। कुमार विश्वास ने कहा कि मैं सरकारी कार्यक्रमों में नहीं जाता परन्तु हमारे मित्र नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि भोजपुर में दुनिया के सबसे बड़े शिवलिंग हैं दर्शन करने आ जाओ। इसलिए मैं पहली बार भोजपुर आया हूं।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम नोयडा से आए शंभू शिखर ने हास्य कविताएं प्रस्तुत की। उन्होंने पढ़ा कि 'हम आने वाली नस्लों की आंखे न फोड़ दे, धरती रहे प्रसन्न ये वादा न तोड़ दें, मन में अगर बची हो थोड़ी लाज शर्म तो जैसी मिली थी कम से कम वैसी तो छोड़ दें…, कविता सुनाई।
इस अवसर पर कवि शिखा दीप्ति ने रोज मिलना मिलाना जरूरी नहीं, इश्क जग को जताना जरूरी नहीं, आंख का एक इशारा मुक्कमल नहीं, शेर हमको सुनाना जरूरी नहीं…, और समझकर सार जीवन का मैं गीता बनके निकलूंगी, समर्पण कर स्वयं का मैं विनीता बनके निकलूंगी, मेरी आंखों के दंडकवन में तुम वनवास तो काटो, मुझे है राम की सौगंध सीता बनके निकलूंगी…, रचना को सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी।