
उज्जैन
मकर संक्रांति पर्व पर विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर का दरबार पतंगों से सजाया गया है. इस मोके पर मंदिर के गर्भ गृह और नंदी हाल का पतंगो से आकर्षक शृंगार किया गया. भस्म आरती में भगवान महाकाल को तिल के लड्डुओं का भोग लगाया गया. मोक्षदायिनी क्षिप्रा में आज के दिन नहान का अपना एक महत्व है, पर कोरोना के चलते श्रद्धालुओं के स्नान पर प्रतिबंध रहा. पुलिस घाटों पर श्रद्धालुओं को स्नान करने से रोकती नजर आई.
सबसे पहले मनाया जाता है त्योहार
उज्जैन बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में सभी त्योहारों को सबसे पहले मनाये जाने की परम्परा है. जिस तरह दिवाली, होली, नववर्ष सहित अन्य त्योहारों को महाकाल मंदिर में अल सुबह मनाया जाता है. आज भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का शृंगार तिल से किया गया.
अर्धनारीश्वर रूप में दिखायी दिए बाबा महाकाल
महाकाल अर्धनारीश्वर के रूप में दिखाई दिए. मंदिर का गर्भगृह और नंदी हाल छोटी-छोटी रंग बिरंगी पतंगों से सजाया गया. कोविड गाइड लाइन को लेकर श्रद्धालु के नंदी हाल गृह में प्रवेश पर प्रतिबन्ध किया हुआ है. उज्जैन में संक्रांति पर जमकर पतंगबाजी होती है. पतंगबाजी के शौकीन सुबह से ही अपनी-अपनी छतों पर पतंग उड़ाते हुए नजर आते.
स्नान करने से रोके गए श्रद्धालु
मकर संक्रांति पर दूर-दूर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं और मां मोक्षदायिनी क्षिप्रा में स्नान करते हैं. इसके बाद बाबा महाकाल के दरबार में दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कोरोना के चलते इस बार प्रशासन ने श्रद्धालुओं के क्षिप्रा में स्नान पर रोक लगा दी है. पुलिस को घाटों पर लगाया है, ताकि कोई भी श्रद्धालु क्षिप्रा नदी में स्नान नहीं कर सके.
तिल से किया बाबा का श्रृंगार
पुजारी राम शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति पर भगवान महाकाल का दरबार पतंगों से सजाया गया है. भगवान महाकाल का तिल से भस्म आरती में श्रृंगार किया गया है.