25 सितंबर भारतीय इतिहास की एक ऐसी विशिष्ट तारीख है, जिसने न केवल भारतीय राजनीति को दिशा देने वाले महापुरुष को जन्म दिया, बल्कि अभूतपूर्व सामाजिक क्रांति का सूत्रपात भी किया। यह क्रांति थी अंत्योदय की क्रांति। पिछड़ों को अग्रणी भूमिका में लाने की क्रांति और समानता के साथ समरसता के भाव को जाग्रत करने की क्रांति। 25 सितंबर को भारतीय चेतना में एकात्म मानववाद के महान उद्घोषक, अंत्योदय की विचारधारा के प्रणेता राष्ट्र के सजग प्रहरी, भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म हुआ था। उस दिन केवल एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि सामाजिक उत्थान से राष्ट्र उत्थान के विचार ने जन्म लिया था। पं. दीनदयाल उपाध्याय के इसी विचार ने भारतीय जनसंघ के रूप में एक ऐसे राजनीतिक दल को जन्म दिया जिसने राजनीति में सिद्धांतवाद का दीप प्रज्ज्वलित किया था। वही दीप जिसने अंत्योदय का विचार गढ़ा और राजनीति में शोषित, पीड़ित, वंचित, मजदूर, किसान, और पंक्ति के अंत में खड़े हुए व्यक्ति को प्राथमिकता दी। जनसंघ में रहते हुए उन्होंने एक ऐसी विचारधारा की नींव रखी जिस पर चलकर भारतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ है, जो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में न केवल राष्ट्रीय उत्थान बल्कि विश्व कल्याण के भाव से सकारात्मक राजनीतिक भूमिका निभा रही है।
दीनदयाल उपाध्याय जी पार्टी को न केवल राजनीतिक बल्कि वैचारिक रूप से भी मजबूत करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की वैचारिक पुष्टि हेतु पत्र पत्रिकाओं का भी प्रकाशन किया। वह जानते थे कि आने वाली 21 वी सदी का नेतृत्व वही व्यक्ति कर सकेगा जो न केवल राजनीतिक सूझबूझ से कार्य करता हो बल्कि उसकी वैचारिक समझ भी प्रबल हो। दीनदयाल जी की उस दूरदृष्टि का साकार स्वरूप आज हम सभी भारतीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के रूप में देख भी रहे हैं। जिन्होंने पंडित जी के अंत्योदय के मार्ग को अपनी कार्यशैली में अंगीकृत कर लिया है। उनके नेतृत्व में आज 21 वीं सदी का भारत अपने विचार, अपने प्रयास और अपने परिश्रम से विकास के आखिरी पायदान पर खड़े नागरिक को विकास के पहली पायदान पर लाने के लिए काम कर रहा है। नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जब 2014 में पहली बार भाजपा की सरकार बनी थी, तब उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और गरीबों की सरकार है। और आज 9 साल बाद हम सभी साक्षी हैं कि मोदी जी ने अपनी कही हुई एक-एक बात को सच साबित करते हुए धरातल पर उतारा है। उन्होंने हर वर्ग, हर जाति, हर समुदाय और हर क्षेत्र के विकास और कल्याण के लिए अनेकानेक प्रयास किये। पिछली सरकार के समय घरों में शौचालय नहीं थे, मोदी जी ने 10 करोड़ घरों में शौचालय बनाए जिनमें सबसे ज़्यादा शौचालय आदिवासियों के घरों में बने। मोदी जी ने 3 करोड़ लोगों को घर दिए, बिजली दी, गैस सिलेंडर दिए, 5 लाख तक का पूरा स्वास्थ्य का खर्चा मुफ्त कर दिया। अंत्योदय के साथ, एक भारत श्रेष्ठ भारत और समरस भारत की छवि विश्व पटल पर स्थापित की है। दीनदयाल जी कहते थे कि आत्म निर्भरता और स्वयं सहायता सभी योजनाओं के केंद्र में होनी चाहिए। उनके इन विचारों को सरकार की योजनाओं और सरकार की कार्य संस्कृति में निरंतर लाने का प्रयास किया गया। जिसके फलस्वरूप मोदी जी द्वारा लायी गयीं ज्यादातर योजनाएं- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण-कौशल योजना, स्टार्ट-अप व स्टैंड-अप इंडिया, मुद्रा बैंक योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, सांसद आदर्श-ग्राम योजना, मेक-इन-इंडिया आदि एकात्म मानववाद के सिद्धांतों से प्रेरित हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसा नारा भी उन्हीं की ‘अंत्योदय’ (समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान) की अवधारणा पर आधारित है।
दीनदयाल उपाध्याय जी की तरह ही मोदी जी ने अंत्योदय के सपने को अगली पीढ़ी के माथे नहीं छोड़ा। उपदेशों की पोटली मात्र नहीं थोपी। उन्होंने अपनी परिकल्पना-संकल्पना को साकार करने के लिए जो बदलाव अपेक्षित समझे, उसके लिए प्रयास किये। स्वयं की कार्यशैली में अंत्योदय को जिया है तभी तो देश ने मोदी जी के नेतृत्व में एक प्रधानमंत्री को सफाई मित्रों के पैर धोते भी देखा है और उनके साथ बैठकर भोजन करने के अभूतपूर्व दृश्यों का साक्षी भी यह देश बना है। लेकिन चाहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के समय की बात हो या तब से लेकर आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के समय की बात हो, किसी व्यक्ति या दल का विचार कभी स्वतः ही पूरा नहीं होता। उसकी पूर्णता में हजारों हजार लोगों का परिश्रम शामिल होता है। यह परिश्रम ही धरातल पर सकारात्मक परिणाम लाता है जिसके चलते पंडित जी जैसे राष्ट्रसेवक द्वारा प्राणित अंत्योदय का विचार मोदी जी जैसे नेतृत्वकर्ता के समय में जनांदोलन बन जाता है। और इस जनांदोलन के वाहक भाजपा जैसे जनहितैषी दल के करोड़ों कार्यकर्ता बनते हैं। 1951 से लेकर आज तक, जनसंघ से लेकर वर्तमान की भाजपा तक भाजपा के सामने विपरीत हालात कभी कम नहीं हुए, इसके बावजूद भाजपा की मौजूदगी और प्रासंगिकता बराबर बनी रही। प्रारंभ से अब तक जो कुछ भी भारतीय जनता पार्टी ने अर्जित किया है वह केवल और केवल अपने कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ताओं के दम पर प्राप्त किया है। इसलिये भाजपा का हर नेतृत्वकर्ता अपने कार्यकर्ताओं की शक्ति व सामर्थ्य का सम्मान करते हुए स्वयं भी कार्यकर्ता भाव से संलग्न रहता है।
इसी भाव के साथ, अभी जो जन आशीर्वाद यात्रा प्रदेश में पांच स्थानों से निकली, यात्राओं ने 10880 से अधिक किलोमीटर का सफर तय कर प्रदेश के हर भू भाग को कवर किया, यात्रा में 1000 से ज्यादा स्वागत समारोह, लगभग 700 से ज्यादा रथ सभाएं, 250 से ज्यादा मंच सभाएं और 50 से अधिक बड़ी जन सभाएं यात्रा के केंद्र में रही। इन यात्राओं में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व, प्रदेश नेतृत्व और हमारे कार्यकर्ताओं ने जनता के मन की आवाज सुन ली है, जनता के मन में हमारे मोदी जी रमते हैं. मध्य प्रदेश का जन-जन मोदी-मोदी कह रहा है। एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी है, इसलिए भाजपा के सदस्यता अभियान में 23 लाख से अधिक सदस्य जुड़े हैं। भाजपा आज सिर्फ एक पार्टी नहीं आंदोलन है, जो जन-जन के लिए समर्पित है, जन-जन के लिए संकल्पित है।
इसी कडी में, 25 सितंबर को भाजपा मध्यप्रदेश द्वारा कार्यकर्ता महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित करने हेतु पंडित जी की जयंती से उपर्युक्त कोई अन्य दिवस हो ही नहीं सकता। वह भाजपा के कार्यकर्ताओं को ही पार्टी की असली पूंजी मानते थे। स्वयं भी आजीवन कार्यकर्ता भाव से पार्टी और देश की सेवा में संलग्न रहे। तभी तो अपने हर कार्य के लिये स्वाबलंबी बने रहे। दो जोड़ी कपड़े और एक सूटकेस को ही अपनी संपत्ति मानकर राजनीतिक चकाचौंध में भी जल में कमल से खिले रहे। उनके कृतित्व ने देश में भाजपा की पौध को वटवृक्ष बनाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया। करोड़ों कार्यकर्ताओं को गढ़ते हुए संगठन कार्यों में संलग्न किया। भाजपा की वर्तमान पीढ़ी को कार्यकर्ताभाव से संगठन भाव की सीख यदि कोई दे सकता है तो वह केवल श्रद्धेय पंडित जी का व्यक्तित्व ही है। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने ’श्रद्धेय दीनदयाल उपाध्याय जी’ की जयंती को “कार्यकर्ता महाकुंभ“ के लिये चुना। उनकी स्मृति में कार्यकर्ता महाकुंभ का आयोजन एक सच्चे संगठक के कार्यों को सही अर्थों में श्रद्धांजलि है।
पंडित जी ने जिस विचार वृक्ष को सींचा, उसकी शाखाएँ आज लोक-कल्याण और राष्ट्रीयता के भाव की पोषक हैं। वह वृक्ष आज एक वटवृक्ष की तरह फल-फूल रहा है और उसके फल आज देश में जनहित के विभिन्न कार्यों के रूप में प्राप्त हो रहे हैं। इस संगठन रूपी वटवृक्ष की जड़ भाजपा के लगनशील, कर्तव्यनिष्ठ और मेहनती कार्यकर्ता हैं, जो प्रतिपल-प्रतिक्षण सजगता के साथ संगठन के विस्तार के लिये जुटे रहते हैं। भाजपा के ऐसे असंख्य कार्यकर्ता हैं, जो कभी कैमरों और चौनलों पर नहीं आए लेकिन उनकी संगठन निष्ठा की बदौलत हमारा संगठन विश्वभर के कैमरों और चौनलों की सुर्खियों में रहता है।
भाजपा ने संघर्ष पथ पर चलते हुए आज अकल्पनीय सफलता हासिल की है। शून्य से शिखर का सफर तय किया है। इसके पीछे पुरखों की तपस्याओं के साथ समृद्ध विचारधारा को लेकर चलने वाले कार्यकर्ताओं का संघर्ष रहा है। जिसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी सहित संपूर्ण भाजपा का संगठन जानता है। इसलिए अपने सांगठनिक पुरखों की विरासत और कार्यकर्ताओं की ताकत का समारोप करने हेतु कार्यकर्ता महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है। इस महाकुंभ से पंडित जी के विचार का अमृत, मोदी जी के विजन की नाव में सवार होकर, नाविक रूपी कार्यकर्ताओं के द्वारा जन-जन तक पहुंचाया जाएगा है।