भोपाल
राज्य सरकार प्रदेश के अफसरों और दफ्तरों में संचालित वित्तीय मैनेजमेंट व्यवस्था में बदलाव के लिए अब आईएफएमआईएस (इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड इनफारमेशन सिस्टम) नेक्स्ट जनरेशन लाएगी। इसके लिए ईओआई (एक्सप्रेशन आॅफ इंट्रेस्ट) डॉक्यूमेंट्स आईटी कंसल्टेंट कम्पनियों से मंगाए गए हैं। यह काम इसी माह फाइनल होगा और इसके लिए दो साल का समय संबंधित आईटी कम्पनी को मिलेगा। बिडिंग में वही कम्पनी शामिल हो सकेगी जिसका आईटी कंसल्टेंसी का टर्नओवर 45 करोड़ का होगा।
वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि आईएफएमआईएस-नेक्स्ट जनरेशन के लिए उन्हीं बिडर को मंजूरी दी जाएगी जिन्हें दस वित्तीय वर्ष में कम से कम तीन आईटी कंसल्टेंसी प्रोजेक्ट में फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (एफएमएस) का राज्य के वित्त मंत्रालय में काम का अनुभव हो और उसकी प्रोजेक्ट कॉस्ट एक करोड़ से कम नहीं रही हो। अगर कोई बिडर दो आईटी कंसल्टेंसी वाले प्रोजेक्ट पूरे कर चुका हो और तीसरे पर काम कर रहा हो, तो उसे भी बिडिंग में शामिल होने का मौका मिल सकेगा। बिडर के पास कम से कम 100 फुल टाइम रिसोर्सेस भी होने चाहिए जिन्हें पांच साल तक आईटी कंसल्टेंसी में काम करने का अनुभव हो। यह ईओआई 27 जनवरी तक स्वीकार की जाएगी।
वित्त विभाग का मानना है कि आईएफएमआईएस नेक्स्ट जनरेशन में हार्डवेयर और साफ्टवेयर में बदलाव के जरिये जो व्यवस्था लागू होगी, वह प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों को बैंकों से जोड़ने में सहायक होगी। इससे सरकार के कामकाज में आसानी होगी। साथ ही एकाउंटेंट जनरल कार्यालय, आरबीआई से भी प्रदेश का वित्तीय महकमा पूरी तरह से कनेक्ट हो सकेगा। इसके अलावा वित्त विभाग से संबंधित सभी उपक्रम और विभाग भी इससे जुड़ेंगे। इसका फायदा यह होगा कि आने वाले दिनों में होने वाले तकनीकी विकास में सिस्टम यूजर फ्रेंडली बना रहेगा।
वित्त विभाग द्वारा वर्तमान में संचालित आईएफएमआईएस व्यवस्था में बदलाव के लिए जो तर्क दिए गए हैं, उसके अनुसार आने वाले दिनों में प्रदेश के वित्त विभाग से जुड़े दफ्तरों में सिक्योर, एफिसिएंट और ट्रांसपैरेंट सिस्टम डेवलप करने में यह बदलाव सहयोगी होगा। साथ ही फाइनेंसियल मैनेजमेंट को मैनेज करने तथा ईज आॅफ यूज की दृष्टि से भी सरकार इसकी जरूरत मान रही है। ईज आॅफ यूज के अंतर्गत नए सिस्टम में स्टेक होल्डर्स के इन्वाल्वमेंट, यूजर फ्रेंडली सिस्टम बेस्ड आॅन यूजर एक्सपीरियंस को ध्यान में रखा जाएगा। जिस कम्पनी को काम सौंपा जाएगा उसे दो साल में काम पूरा करना होगा। इसके लिए तय शर्तों में कहा गया है कि इस काम को एक साल तक अत्यधिक जरूरत होने पर बढ़ाया जा सकेगा।