भोपाल
प्रदेश में लोक परिसंपत्ति की तलाश और उसके विभागीय क्रियान्वयन को लेकर 27 जिलों की रिपोर्ट सरकार के पास निगेटिव पहुंची है। इन जिलों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तय गाइडलाइन का पालन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा है कि जिले के साथ दूसरे प्रदेशों में मौजूद ऐसी परिसंपत्तियों की तलाश का काम तेज करें।
राज्य शासन ने लोक परिसंपत्ति विभाग का गठन लोक परिसंपत्ति के प्रबंधन को लेकर किया है। इसमें करीब डेढ़ माह पहले कलेक्टरों को मुख्य सचिव की ओर से निर्देश दिए गए थे कि सभी कलेक्टर अपने जिले की 5 परिसंपत्तियों को चिन्हित कर लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग के पोर्टल पर दर्ज करेंगे। शासन के निर्देश के बाद इस माह अब तक 25 जिलों में इस संबंध में 85 परिसंपत्तियों को चिन्हित किया गया और पोर्टल पर इसकी जानकारी दर्ज कराई गई है। जो प्रापर्टी वर्तमान में प्रबंधन या निर्वर्तन के योग्य नहीं हैं, उन्हें पोर्टल में आर्काइव सेक्शन में रखने के निर्देश दिए गए हैं। जिन जिलों ने शासन को जानकारी अपडेट की है, उनमें सबसे अधिक जबलपुर में 8, इंदौर व मंडला में सात-सात, सीधी, राजगढ़, भिंड, दमोह, श्योपुर बालाघाट में पांच-पांच, मंदसौर में चार, देवास, कटनी, मुरैना, रतलाम में तीन-तीन, अलीराजपुर, गुना, होशंगाबाद, रीवा, सतना, सिंगरौली में दो-दो तथा भोपाल, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, झाबुआ, टीकमगढ़ में एक-एक प्रापर्टी शामिल हैं। पड़ताल के बाद यह बात सामने आई है कि 27 जिलों ने पोर्टल पर परिसंपत्तियों को दर्ज नहीं किया है।
पिछले दिनों सीएम की समीक्षा में बताया गया था कि लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में कुल रिजर्व मूल्य 83.08 करोड़ रुपये की कुल 14 परिसमापक एवं शासकीय परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण कर 150 करोड़ रुपये में अवार्ड किया गया। विभाग और जिला कलेक्टर्स द्वारा कुल 377 परिसंपत्तियाँ पोर्टल पर इंद्राज की गई। परिवहन निगम की सीधी बस डिपो, दमोह बस डिपो, मल्हारगंज बस डिपो, इंदौर परिसंपत्तियों को नगरपालिका को सौंपा गया। परिसंपत्तियों के निर्वर्तन से उच्चतम राजस्व की प्राप्ति के लिए परिसंपत्ति पर पहुँच मार्ग निर्माण कर विकास किया गया, जिसमें विनोद मिल परिसंपत्ति जिला उज्जैन, अलीराजपुर बस डिपो आदि शामिल हैं। कोरोना की दूसरी लहर के बाद 19 परिसंपत्तियों को परिवहन विभाग एवं सहकारिता विभाग द्वारा पोर्टल पर इंद्राज किया गया।
इन जिलों की प्रोग्रेस अब तक नहीं
शासन को मिली जानकारी के अनुसार अब तक जिन जिलों की प्रोग्रेस शून्य है, उनमें आगरमालवा, अनूपपुर, अशोकनगर, बड़वानी, बैतूल, छतरपुर, दतिया, धार, डिंडोरी, ग्वालियर, हरदा, खंडवा, खरगोन, नरसिंहपुर शामिल हैं। इनके अलावा नीमच, निवाड़ी, पन्ना, रायसेन, सागर, सीहोर, सिवनी, शहडोल, शाजापुर, शिवपुरी, उज्जैन, उमरिया और विदिशा जिलों ने एक भी प्रापर्टी की जानकारी शासन को नहीं भेजी है।
यह है लोक परिसंपत्तियों की जानकारी जुटाने का मतलब
शासन ने व्यवस्था तय की है कि लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग सभी सरकारी संपत्तियों का रजिस्टर तैयार करेगा। संपत्ति के बारे में नीति और गाइडलाइन तैयार करेगा। सरकार को इस संपत्ति के बारे में राय देगा कि उसे बेचना उचित है या नहीं। उसका किस तरह से व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। इसमें जमीनों के मॉनीटाइजेशन के लिए विकल्प ढूंढ़ने का प्रावधान है ताकि सरकार को अतिरिक्त आय प्राप्त हो सके। इसके लिए विभागों से विचार-विमर्श और समन्वय से काम करने की व्यवस्था है। पीपीपी प्रोजेक्ट में यह विभाग अन्य विभागों या एजेंसियों को सलाह भी देगा।