प्रदेश में अपराधियों की खैर नहीं, मंत्रालय करेगा मॉनिटरिंग

भोपाल
प्रदेश में चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों की अब मंत्रालय से सीधे मॉनिटरिंग होगी। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अब हर माह इन अपराधों की समीक्षा होगी। इसमें संभाग से लेकर जिले तक के अफसर शामिल होंगे। ऐसे मामलों में अपराधी कोर्ट से दोषमुक्त क्यों हो रहे है इस पर भी बैठक में बात होगी। कमजोर विवेचना, न्यायालय में कमजोर पक्ष रखा जाना, गवाहों के पलटने सहित जो भी इसके कारण रहेंगे उन सबकी समीक्षा होगी और इसमें जवाबदारी भी तय होगी साथ ही आगे ऐसा नहीं हो यह भी तय किया जाएगा। कुल मिलाकर अपराधी सजा से किसी भी हाल में बचे नहीं इसको लेकर अब हाईलेवल की मॉनिटरिंग शुरू कर दी गई है।

पहली बार इन मामलों पर चर्चा
झाबुआ में पेटलावद, खरगौन में भीकनगांव, बालाघाट में कोतवाली, मंडला में बीजाडांडी, रीवा में शाहपुर, श्योपुर में विजयपुर, नरसिंहपुर में गोटेगांव में धर्म स्वातंत्रय अधिनियम से जुड़े मामले, पन्ना के सिमरिया, सीधी के मझौली और हरदा जिले के हरदा थाने में चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों में दोषमुक्त हुए आरोपियों के मामलों में वीसी के जािरए चर्चा की गई। अपर मुख्य सचिव गृह राजेश राजौरा ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि ऐसे अपराधों में लिप्त आरोपियों के खिलाफ पुलिस का हर पक्ष मजबूत होना चाहिए। कोई कमी ना छोड़े ताकि आरोपी न्यायालय से दोषमुक्त नहीं हो पाए।

एसीएस होम राजेश राजौरा हर महीने दस से पंद्रह तारीख के बीच वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों और उनसे जुड़े संभाग और जिलों के अफसरों, कलेक्टरों, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी, एसपी, जिला लोक अभियोजन अधिकारी, सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे। वीसी में इन दोषमुक्त प्रकरणों के विवेचना अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा।

चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों के मामलों में  दोषमुक्ति क्यों हुई। न्यायालय ने किन बिन्दुओं पर आरोपी को दोषमुक्त किया, किस तरह से प्रकरण की विचेचना की गई। उसमें क्या कमी रही, जिसके आधार पर आरोपी को दोषमुक्त किया। क्या विवेचना कमजोर थी। उसमें कुछ तथ्य और शामिल किए जाने थे। न्यायालय में पैरवी करते समय अभियोजन अधिकारी और सरकारी अधिवक्ताओं की दलीलों में क्या कमी रही।

 मध्यप्रदेश में चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों के मामलों में अपराधी किसी न किसी कमी के कारण न्यायालय में प्रकरण जाने के बाद सजा पाने से बच जाते है। पुलिस आपराधिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करती है। अपराधियों की गिरफ्तारी भी होती है। कोर्ट में चालान भी पेश किया जाता है। लेकिन पुलिस की कार्यवाही से लेकर न्यायालय में सरकारी अधिवक्ताओं की पैरवी तक कोई ना कोई ऐसी कमजोर कड़ी होती है जिसका फायदा उठाकर इन अपराधों में लिप्त आरोपी सजा पाने से बच जाते है। न्यायालय उन्हें दोषमुक्त ठहराते हुए बरी कर देता है और ऐसे अपराधियों पर शिकंजा कसने, अपराधों पर लगाम लगाने की पुलिस की मंशा पूरी नहीं हो पाती। ऐसे में जो आरोपी वास्तव में अपराधों में लिप्त होते है उनके हौसले बुलंद होते है।

 कोर्ट में जो पक्ष सरकार की ओर से पेश किया गया उसमें क्या कमी थी जिसके कारण न्यायाधीश ने उनके आधार पर आरोपी को दोषमुक्त किया इसकी समीक्षा हर स्तर पर की जाएगी। यदि इसमें किसी की ओर से कमी पाई जाती है तो  संबंधित अधिकारी को चेताया जाएगा कि भविष्य में वह विवेचना या सरकार का पक्ष रखते समय इसका ध्यान रखे ताकि न्यायालय में पुलिस का पक्ष मजबूती से रखा जा सके और दोषमुक्त किए जाने का कोई आधार ही नहीं बचे। ताकि जो भी अपराधी है वे हर हाल में सजा पाए।

वर्जन
चिन्हित और सनसनीखेज अपराधों की अब मंत्रालय से सीधी मॉनिटरिंग होगी। आरोपी सजा से बचे नहीं, न्यायालय उन्हें दोषमुक्त नहीं कर पाए। इस समीक्षा बैठक के जरिए हर स्तर पर पुलिस का पक्ष मजबूत रहे यह प्रयास किया जाएगा।
राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव गृह