भोपाल
मध्यप्रदेश पुलिस समय पर कोर्ट में डीएनए और एफएसएल रिपोर्ट पेश नहीं कर पा रही है जिसके चलते कोर्ट में केस की पेंडेंसी के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने न सिर्फ नाराजगी जाहिर की है। बल्कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि डीएनए नमूनों की जांच के लिए अतिरिक्त फोरेंसिक लैब के गठन के लिए जारी न्यायालय के निर्देशों के संबंध में उसने क्या कदम उठाए हैं। यह आदेश जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने दिया है।
पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में मामलों में, एफएसएल रिपोर्ट और डीएनए रिपोर्ट हाईकोर्ट या ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश नहीं की जा रही है, इस तथ्य के बावजूद कि चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है और मुकदमे में, महत्वपूर्ण गवाहों के बयान पहले ही दर्ज किए जा चुके हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि यह राज्य के अधिकारियों की उदासीनता को दर्शाता है कि नमूने की जल्द जांच नहीं हो रही है। इस अदालत द्वारा नमूनों की जांच के लिए अतिरिक्त फोरेंसिक लैब के गठन के संबंध में पहले ही कई निर्देश जारी किए जा चुके हैं। कोर्ट ने आगे अधिकारियों से न्यायालय द्वारा पहले जारी निर्देशों के अनुसार उठाए गए कदमों को भी निर्दिष्ट करने के लिए कहा है।