
जबलपुर
रेलवे ने नई तकनीक की मदद से न सिर्फ ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की सुविधाओं में इजाफा किया, बल्कि सफर को सुरक्षा और आरामदायक बना दिया है। इस कड़ी में जबलपुर से रवाना होने वाली ट्रेनों के कोच में बिजली सप्लाई व्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया गया है। अब इन कोच में सीधे (ओवल हेड इक्यूपमेंट) ओएचई से बिजली सप्लाई की जा रही है। अभी तक इसके लिए ट्रेन के कोचों के साथ दो जनरेट कोच भी लगाने पड़ते थे।
दरअसल, जबलपुर से मुंबई के बीच चलने वाली गरीब रथ एक्सप्रेस के कोचों में विद्युत सप्लाई जनरेटर कोच की बजाए विद्युत लाइन से की गई। इसके बेहतर परिणाम सामने आए। ऐसे करने से न सिर्फ ट्रेन में लगे जनरेट पर होने वाले करोड़ों के डीजल की बजट की। इसके साथ ही जनरेट ने निकलने वाली तेज आवाज और इससे होने वाले वायु प्रदूषण पर भी रेलवे ने नियंत्रण किया। इसके बेहतर परिणाम सामने आने के बाद जबलपुर रेल मंडल की 22 ट्रेनों में इस तकनीक का उपयोग शुरू हो गया है।
जबलपुर से मुंबई तक तीन हजार लीटर डीजल खर्च : गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन नं. 02187/88 में बिजली देने के लिए रेलवे इसके रैक के साथ दो जनरेट के रैक भी लगाया था। इसमें कोचों में विद्युत सप्लाई की आपूर्ति पावर कार में लगे डीजल जनरेटर द्वारा होती थी। इस दौरान जबलपुर से मुंबई एवं वापस मुंबई से जबलपुर आने तक दाेनों जनरेट कोच में लगभग तीन हजार लीटर ईधन लग जाता था। जो अब ओएचई से बिजली लेने से बच रहा है। रेलवे के मुताबिक गरीब रथ में इस तकनीक से साल में लगभग 4.68 लाख लीटर डीजल की बचत होगी।
ऐसे उपयोग की जाती है बिजली : ट्रेन के इंजन में लगे एंटीने की मदद से ओएचई से बिजली ली जाती है। इंजन द्वारा 25 केवीए की लाइन से सीधे लोको में 750 वोल्ट का एसी करंट लेकर ट्रेन के सभी कोच में लगे ट्रांसफार्मर तक इसे पहुंचाया जाता है। इसके बाद कोच में चलने वाली एसी, विद्युत बल्व और चार्जिंग सर्किट को इस बिजली आदि को विद्युत सप्लाई की जाएगी।
पमरे के तीनों मंडल में उपयोग
- – जबलपुर मंडल में 22 रैकों में
- – भोपाल मंडल में 6 रैकों में उपयोग
- – कोटा मंडल में 8 रैक में
जबलपुर की ट्रेनों में
- – जबलपुर-निज़ामुद्दीन- गोंडवाना एक्सप्रेस
- – जबलपुर-निज़ामुद्दीन एमपी संपर्क क्रांति
- – जबलपुर-श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा
- – जबलपुर-अजमेर दयोदय एक्सप्रेस
- – जबलपुर-नागपुर अमरावती एक्सप्रेस
- – जबलपुर-सोमनाथ एक्सप्रेस
– जबलपुर-इंदौर ओवर नाइट एक्सप्रेस
यह मिला फायदा
- – एलएचबी कोच में बिजली देने पावर जनरेटर को उपयोग बंद करने से एक माह में डीजल की खासी बचत हुई।
- – जनरेटर हटाने के बाद इनकी जगह जल्द ही दो अतिरिक्त कोच लगाए जाएंगें, जिससे अतिरिक्त सीटें बढ़ेंगी।
- – वायुमंडल में डीजल से होने वाले वायु प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रण किया गया है।
- – ट्रेन में सफर करने वाले यात्री को ध्वनि प्रदूषण से भी राहत मिली है।