भोपाल
राज्य पुलिस सेवा के एक दर्जन अफसरों ने ऐसी गड़बड़ी और हेराफेरी की है कि अब उनकी नौकरी और प्रमोशन पर संकट के बादल छा गए हैं। भोपाल, इंदौर और उज्जैन संभागों में पदस्थ रहे एसपीएस अफसरों में से किसी ने होटल के बिल में हेरफेर कर दो हजार रुपए ज्यादा का टीए भुगतान के लिए प्रस्तुत कर दिया तो किसी पुलिस अफसर ने शराब पेटी जब्त करने में हेरफेर कर दी। पुलिस अफसरों के इन कारनामों की हकीकत भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया के सवाल के लिखित उत्तर में विधानसभा में सामने आई।
उप सेनानी सुरक्षा वाहिनी भोपाल में पदस्थ रहे देवेंद्र कुमार सिरोलिया ने इंदौर की एक बड़ी होटल में बिना रुके ही 3900 रुपए की राशि का बिल भुगतान के लिए सुरक्षा वाहिनी कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया। दरअसल सिरोलिया ने होटल में 26 और 27 अप्रैल 2017 के 1900 रुपए के बिल को परिवर्तित कर 3900 रुपए का कर दिया और 30 और 31 मई 2017 की अवधि प्रदाय किए मूल बिल को बिना राशि लिखे होटल से ले लिया था। अब सिरोसिया की विभागीय जांच चल रही है।
वहीं धार जिले के सरदारपुर में एसडीओपी गौरीशंकर चढार ने आबकारी अधिनियम के एक प्रकरण में चौकी रिगनौद पर 1050 पेटी शराब जब्त की। जब्त बिल्टी अनुसार ट्रक में 1250 पेटी शराब थी। इसके बाद वरिष्ठ कार्यालय से निर्देश मिलने के बाद भी जब्त शराब की मात्रा में विरोधाभास के संबंध में तत्काल कोई तस्दीक नहीं कर सके। इसके चलते चढार को निलंबित किया गया। इसके एक माह बाद पुलिस चौकी रिंगनौद के मालखाना से उसी ब्रांड की 141 पेटी शराब जब्त की गई। इस मामले में सरदारपुर थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक कुशल सिंह रावत, पुलिस चौकी प्रभारी कैलाश किरोड की भी जांच चल रही है।
खंडवा जिला में पदस्थ निरीक्षक कैलाश दाण्डे ने दोहरे हत्याकांड एंव लूट जैसे गंभीर अपराध में घटना स्थल से जब्त महत्वपूर्ण भौतिक साक्ष्य का परीक्षण न कराकर गायब कर दिया था। डीएसपी पवन मिश्रा की सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत कदाचरण के मामले में विभागीय जांच चल रही है। इसी तरह आजाद नगर के तत्कालीन नगर पुलिस अधीक्षक रहे सुरेंद्र सिंह तोमर, तत्कालीन सीएसपी विजयनगर पंकज दीक्षित की भी विभागीय जांच चल रही है। भोपाल क्राइम ब्रांच में पदस्थ रहे तत्कालीन डीएसपी दिनेश सिंह चौहान ने अवैध रूप से रुपए की मांग की और यह आॅडियो वायरल हो गया, इनकी भी विभागीय जांच चल रही है। पांच मामलों में मोहिंदर कंवर की भी जांच चल रही है। वहीं रतलाम के जावरा के तत्कालीन एसडीओपी केके व्यास ने एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज प्रकरण की विधिवत विवेचना नहीं की।
उज्जैन में तत्कालीन डीएसपी ट्रैफिक भूपेंद्र सिंह राठौर ने एक करोड़ रुपए रखी गाड़ी पकड़ी थी। वाहन को करीब सवा घंटे रोकने के बाद छोड़ दिया गया। वहीं डॉ. रजनीश कश्यप तत्कालीन डीएसपी उज्जैन ने अवैध शराब बनाने और बेचने वालों के खिलाफ कार्यवाही में शिथिलता बरती। रतलाम के आलोट के तत्कालीन एसडीओपी प्रदीप विश्वकर्मा पर आरोप है कि उन्होंने राधेश्याम को डरा धमका कर प्रताड़ित किया और 11 लाख रुपए लिए इस पर इनकी भी विभागीय जांच चल रही है।