भोपाल
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस पर देशभर में मनाए जा रहे सुशासन दिवस पर मध्यप्रदेश से राहत और सुख देने वाली खबर आई है। प्रदेश सरकार ने जानकारी दी है कि राज्य में नाबालिगों से रेप के मामलों में लगातार तीन साल से कमी आई है। गौरतलब है केंद्र और राज्यों की रिपोर्ट्स के मुताबिक मप्र क्राइम अगेंस्ट वूमन के टॉप फाइव स्टेट्स में शामिल रहा है। जिसमें बलात्कारों की बड़ी संख्या रही है।
मप्र सरकार ने विधानसभा में जानकारी दी है कि पिछले तीन सालों में नाबालिग बच्चियों से बलात्कार के मामलों में लगातार कमी आई है। वर्ष 2018 में जहां प्रदेश में 1776 मामले दर्ज किए गए थे वहीं वर्ष 2019 में 1682 और वर्ष 2020 में 1645 मामले दर्ज किए गए है। इस साल नवंबर तक केवल 1441 मामले ही दर्ज हुए है। वहीं अपहरण के बाद दुष्कृत्य के मामले भी लगातार कम हुए है। गृह विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश में बीते तीन वर्ष 11 माह में अठारह वर्ष से कम उम्र की नाबालिग बालिकाओं के साथ होंने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों में लगातार कमी आई है। नाबालिग बालिकाओं के अपहरण और उसके बाद दुष्कृत्य की घटनाएं भी लगातार कम हुई है। वर्ष 2019 में ऐसे मामलों की संख्या 1794 थी तो वर्ष 2020 में ऐसे प्रकरणों की संख्या घटकर 1571 रह गई। इस साल एक जनवरी से नवंबर 2021 के बीच अपहरण और दुष्कृतय के कुल 1404 प्रकरण पुलिस थानों में दर्ज किए गए है।
प्रदेश में दो साल तक नाबालिग बच्चियों के अपहरण की घटनाएं लगातार कम हुई थी लेकिन इस साल के 11 महीनों में ऐसे मामलो की संख्या अचानक बढ़ गई है। वर्ष 2019 में अपहरण के 5 हजार 793 प्रकरण दर्ज किए गए थे। 2020 में इनकी संख्या 4 हजार 978 हो गई और एक जनवरी से 30 नवंबर 2021 के बीच नाबालिग बच्चियों के अपहरण के 6 हजार 37 प्रकरण दर्ज किए गए है।
प्रदेश में पिछले तीन वर्ष 11 महीनों में नाबालिग बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार के मामलों में भी कमी आई है। वर्ष 2018 में सामूहिक बलात्कार की 143 घटनाओं पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया था। अगले वर्ष यह संख्या 136 हो गई और इस वर्ष नवंबर तक ऐसे केवल 124 प्रकरण पुलिस ने दर्ज किए है। प्रदेश में नाबालिग बच्चियों को बंधक बनाकर दुष्कृत्य किए जाने के प्रकरण भी तीन सालों में घटे है। वर्ष 2018 में ऐसे 67 प्रकरण दर्ज किए गए थे वहीं अगले साल इनकी संख्या 48 और वषर्् 2020 में ऐसे मामले 47 ही दर्ज किए गए।
आमतौर पर नाबालिग बच्चियों के साथ शादी करने का प्रलोभन देकर उनका शारीरिक शोषण करने की घटनाएं काफी होती है। बाद में आरोपी शादी करने से मुकर जाते है। इनमें शादीशुदा और वयस्क आरोपियों की संख्या ज्यादा रहती है। पिछले सालों में ऐसे अनेकों मामले सामने आए हैं। वर्ष 2019 में शादी का प्रलोभन देकर शारीरिक शोषण किए जाने के 732 मामले दर्ज किए गए थे। अगले साल इन प्रकरणों की संख्या घटी और केवल 643 मामले दर्ज किए गए। इस साल नवंबर 21 तक इस तरह के 601 प्रकरण प्रदेशभर के पुलिस थानों में दर्ज किए गए है।
मध्यप्रदेश में महिलाओं और युवतियों के खिलाफ होंने वाले अपराधों को रोकने सुरक्षा प्रदान करने कानूनी और आर्थिक सहायता देने के लिए बने निर्भया फंड में वन स्टाफ सेंटर कि लिए राज्य सरकार को इस साल 8 करोड़ 16 लाख रुपए मिले हैं। इसमें से अब तक केवल 5 करोड़ 55 लाख रुपए ही खर्च हो पाए हैं। अमले की भर्ती नहीं होने, जमीन नहीं मिलने से भवन निर्माण नहीं हो पाया और इसके चलते राशि खर्च नहीं हो पाई। दूसरी ओर मध्यप्रदेश में महिला अपराधों के मामलों में पीड़ित महिलाओं को प्रतिकर अदा किया जाता है। इस साल प्रदेश में 188 महिलाओं को 3 करोड़ 38 लाख 85 हजार रुपए बांटे गए है। दो महिलाओं का इलाज कराया गया और दो हजार 302 को विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई।