भोपाल
प्रदेश के आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में जब आदिवासी वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार नहीं थे तो वहां के कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने जिला और पुलिस प्रशासन से चर्चा के बाद वहां खाटला बैठकों को तवज्जो दी। खाटला बैठकों में जिला अधिकारियों के साथ कलेक्टर सोमेश खुद शामिल हुए और आदिवासियों को वैक्सीन के फायदे बताए तथा उनकी समस्याओं का निराकरण भी मौके पर कराया। इसका नतीजा यह हुआ है कि प्रदेश में कोरोना वैक्सीन लगवाने के मामले में फर्स्ट डोज में झाबुआ इंदौर, भोपाल के बाद तीसरे नम्बर पर है।
इसका प्रतिशत 105 है, इसी तरह दूसरे डोज को भी प्रमुखता दे रहे हैं। कलेक्टर सोमेश मिश्रा बताते हैं कि गुजरात से लगा होने के कारण झाबुआ में इंटरस्टेट आवागमन बहुत है। इंदौर अहमदाबाद हाईवे पर कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए टीम तैनात कर आने जाने वालों से पूछताछ और जांच करा रहे हैं।
दूसरी लहर का कहर देखते हुए प्रशासन ने आक्सीजन टैंक खरीद कर रखे हैं ताकि आक्सीजन प्लांट से आक्सीजन की आपूर्ति के बाद भी अगर दिक्कत हो तो इनके माध्यम से सप्लाई कराई जा सके। मिश्रा बताते हैं कि डिमांड से ढाई गुना तक ऐसे सिलेंडर रखे हैं। सीटी स्कैन मशीन चालू कराई गई है। आक्सीजन बेड और 9 नए वेंटिलेटर तैयार किए गए हैं। इंदौर, बड़ोदरा और गुजरात के अन्य जिलों में यहां से मरीज आते जाते हैं, इसे देखते हुए 11 एंबुलेंस की व्यवस्था अलग से की गई है। आक्सीजन कंसेंट्रेटर भी उपलब्ध हैं।
कलेक्टर सोमेश के अनुसार दूसरी लहर के दौरान उन्होंने गांवों में कोरोना मरीजों को आक्सीजन की जरूरत को देखते हुए मोबाइल आक्सीजन वैन शुरू की थी। इसमें बीस सिलेंडर एक गाड़ी में रखे जाते थे और जहां जरूरत होती थी वहां सिलेंडर से आक्सीजन दी जाती थी। इस बार भी इस प्रयोग को चालू रखने की तैयारी है। इसके साथ ही वीडियो कॉल कर लोगों से संवाद करने और उनका हौसला बढ़ाने का काम भी किया जाता था। इस बार भी यह प्रयोग करेंगे।