इंदौर
कई नवाचार करने और स्वच्छता में मिसाल कायम करने के बाद मिनी मुम्बई कहा जाने वाला इंदौर, आलू उत्पादन में भी नई इबारत लिख रहा है. इंदौर में उगाए जा रहे शुगर-फ्री आलू की लोकप्रियता देश ही नहीं विदेश में भी खासी बढ़ रही है. जिले में हर साल 45 हजार हेक्टेयर में लगभग 20 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादन होता है. खास बात यह है कि प्रदेश का प्रमुख आलू उत्पादक जिला होने से ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना के तहत इंदौर के इस शुगर फ्री आलू का चयन किया गया है.
शुगर फ्री आलू की खेती के लिए 10 लाख तक की सब्सिडी
आय-वर्धक होने के कारण किसान बड़ी संख्या में आलू उत्पादन की ओर आकर्षित हो रहे हैं. शुगर-फ्री आलू की खास बात यह है कि इसकी चिप्स तलने के बाद लाल नहीं होती, बल्कि सफेद बनी रहती है. जिले में सुगर फ्री आलू उत्पादन के लिये किसानों को 25 से 35 लाख रूपये तक का ऋण मुहैया कराया जा रहा है, जिसमें अधिकतम 10 लाख रूपये की सब्सिडी दी जा रही है. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान पर आलू पर आधारित नवीन सूक्ष्म उद्योग लगाने की ओर युवा किसान भी प्रेरित हो रहे हैं. इंदौरी आलू की इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए छोटी कंपनियों के साथ प्रतिष्ठित कंपनियों ने भी इंदौर में अपने वेफर्स फैक्ट्रियां स्थापित की हैं.
एक हेक्टेयर में 250 क्विंटल तक उत्पादन
इंदौर के पास महू, गवली, पलासिया, जामली, बिचौली, कोदरिया, बड़गोंदा, हरसोला, दतोदा, हासलपुर, मेमदी, कुवाली, मानपुर, टीही, राउ, रंगवासा, कैलोद और मेण में प्रमुख रूप से इस आलू की खेती की जा रही है. आमतौर पर एक हेक्टेयर में 220 में 240 क्विंटल तक आलू का उत्पादन होता है, लेकिन देपालपुर तहसील के ग्राम चितोड़ा के किसान भरत पटेल ने उन्नत तकनीक अपनाकर प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल आलू का उत्पादन करने में सफलता हासिल की है. उन्होंने अपने खेत में 7 वैरायटी का आलू की खेती की है.
स्वास्थ्यवर्धक है ये आलू
शुगर फ्री आलू के अलावा आलू की दूसरी किस्मों मे भी अनेक गुणों की भरमार है. इनमें स्वास्थ्य-वर्धक तत्व-विटामिन, आयरन, केल्शियम, मेग्नीज, फास्फोरस आदि होते हैं. त्वचा जलने में आलू का औषधीय प्रयोग होता है. इसके साथ ही आलू से बनने वाले चिप्स, पापड़, समोसा, कचौड़ी, आलूबड़ा, टिक्की, फ्रेंच फ्राइस और पराठे भी हर आयुवर्ग में खासे लोकप्रिय हैं.