भोपाल
राज्य शासन द्वारा 'विवाद से विश्वास योजना' लागू कर बिना सम्मति संचालित उद्योगों को 1 जनवरी से 31 मार्च 2022 तक सम्मति प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगों के लिए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये जाकर लागू किए गए हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरणीय अधिनियमों में उद्योगों को व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए पहली बार दी जाने वाली सम्मति, प्राधिकार एवं पंजीयन आवेदन प्राप्त होने के बाद 30 कार्य दिवस में निर्णय नहीं होने और बोर्ड में लंबित होने पर स्वत: प्रावधिक सम्मति/ प्रावधिकार माना जायेगा। यह प्रावधिक सम्मति नियमित सम्मति/ प्रावधिकार जारी होने की तिथि तक वैध रहेगी।
बोर्ड द्वारा खनिज नियम 1996 की अनुसूची 1 और 2 में उल्लेखित चार हैक्टेयर तक 19 माइनर मिनरल खादानों की सम्मति और नवीनीकरण प्रकरणों की निराकरण की शक्तियाँ क्षेत्रीय अधिकारियों को प्रत्यायोजित की गई हैं। इनमें अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट खनिज आकारीय पत्थर, ग्रेनाइट, संगमरमर, डोलेराइट और अन्य आग्नेय तथा परिवर्तित चट्टानें, जिन्हें काट और तराश कर ब्लाक्स, स्लेब्स बनाने के लिये किया जाता है, भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग में लाया जाने वाला चूना पत्थर, फ्लेग स्टोन, गिट्टी बनाने वाला पत्थर बेन्टोनाइट/ फुलर्स अर्थ और पत्थर से निर्मित की गई रेत शामिल है।
अनुसूची 2 के अन्य खनिज में साधारण रेत, बजरी, ईट, वर्तन, कबेलू आदि बनाने के लिए साधारण मिट्टी, मुरम, ग्रेवल, लाईम शैल, रेह मिट्टी और साल्ट पेट्रे शामिल है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में रजिस्ट्रेशन, खतरनाक अपशिष्ट नियम 2016 में प्राधिकार, बायोमेडिकल वेस्ट मेनेंजमेंट रूल्स 2016 के प्राधिकार एवं जल-वायु अधिनियम में स्थापना और उत्पादन सम्मति शुल्क में भी कमी की गई है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम में एक जनवरी, 2022 से 10 करोड़ रुपये से कम विनिधान वाले सूक्ष्म-लघु उद्योग के लिये एक हजार और 10 करोड़ या उससे अधिक वाले मध्यम, वृहद योग संस्थान के लिये दो हजार रुपये प्रतिवर्ष किया जा रहा है। इसी तरह खतरनाक अपशिष्ट नियम में एक करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये से कम लागत वाले लघु उद्योगों के लिये 10 हजार रुपये और 10 करोड़ या उससे अधिक किन्तु 50 करोड़ से कम लागत के मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिये 20 हजार रुपये और 50 करोड़ या उससे अधिक लागत वाले वृहद उद्योगों के 30 हजार रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है।