भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गैर पारम्परिक क्षेत्रों में सहकारिता के उपयोग को सुनिश्चित करना आवश्यक है। ग्रामीण परिवहन सेवा, खाद्य प्र-संस्करण, पर्यटन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहकारिता का अच्छा उपयोग हो सकता है। विभाग में कम्प्यूटर के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया जाए। बड़े नगरों में गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितताओं पर अंकुश लगाने का कार्य भी निरंतर किया जाए। मुख्यमंत्री चौहान आज सहकारिता विभाग की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को सक्षम बनाने अभियान को भी गति देना जरूरी है। यह समितियाँ सहकारिता को बढ़ाने का आधार हैं। इनसे जुड़े कर्मचारियों को उपयोगी प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आव्हान और आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश में सहकार से समृद्धि के भाव को अंगीकार कर नवीन सहकारी नीति तैयार की जाए। जिन जिला सहकारी बैंकों का परफार्मेंस बेहतर नहीं है, उन्हें निरंतर शासकीय अंशपूँजी देने का औचित्य नहीं है। अन्य राज्यों के सहकारी क्षेत्र में हुए अच्छे कार्यों का मध्यप्रदेश में भी अनुसरण किया जाए।
नए-नए क्षेत्रों में हो सहकारिता का उपयोग
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कृषि और पशुपालन के साथ ही नए-नए क्षेत्रों में सहकारिता का उपयोग किया जाए। मत्स्य पालन, बकरी पालन, ग्रामीण परिवहन सेवा, हेल्थ सेक्टर, पर्यटन, विभिन्न खाद्य उत्पादों के प्र-संस्करण कार्य में सहकारिता से सकारात्मक परिवर्तन संभव है। सहकारिता के पहुँच और उसके व्यापक प्रभाव को समझते हुए इसके लिए रोडमैप तैयार करें।
परिश्रम से अर्जित पूँजी और भू-खंड को भू-माफिया न हड़पें
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बड़े नगरों में गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितताओं पर नियंत्रण हुआ है। लेकिन इसके लिए एक ऐसी दीर्घकालिक नीति का निर्माण किया जाए, जिसमें किसी भी व्यक्ति के जीवनभर की परिश्रम से अर्जित पूँजी व्यर्थ न जाए। ऐसे प्रकरणों में विभाग स्तर पर होने वाली कार्यवाही में यदि कोई वैधानिक अड़चनें हों, तो उसका रास्ता भी निकाला जाए। सहकारिता विभाग प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग से पीड़ित और परेशान नागरिकों को न्याय दिलवाये।
विभाग के प्रयास
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में कृषि उत्पादों के वैज्ञानिक भंडारण और किसानों को उनके द्वारा किए गए उत्पादन की अधिकतम कीमत दिलवाने के लिए अधो-संरचनात्मक विकास के कार्य किए गए हैं। एग्री इन्फ्रा फंड में 124 पैक्स में ग्रेडिंग सार्टिंग यूनिट स्थापित की गई हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (रफ्तार) में 107 करोड़ की लागत से 145 गोदाम मंजूर किए गए हैं। मनरेगा में 314 प्लेटफार्म निर्मित कर लिए गए हैं। इसके अलावा 797 प्लेटफार्म निर्माणाधीन हैं। विभाग और सहकारी बैंकों तथा संस्थाओं की कार्य-प्रणाली में पारदर्शिता के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ाया गया है। ऑनलाइन सोसायटी पंजीयन पोर्टल प्रारंभ किया गया है। सहकारी बैंकों में नियुक्ति की कार्यवाही भी की जा रही है। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पावधि फसल ऋण योजना में गत वर्ष लगभग 30 लाख कृषक लाभान्वित हुए। वर्तमान वित्त वर्ष में 13 हजार 707 करोड़ रूपये का ऋण वितरण गत 24 दिसम्बर 2021 तक हुआ है। वर्ष 2022-23 के लिए 17 हजार करोड़ रूपये का लक्ष्य प्रस्तावित है। गत माह ही द्वितीय अनुपूरक अनुमान द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 500 करोड़ रूपए की शासकीय अंशपूँजी देने का प्रावधान किया गया है। मार्कफेड को इस राशि से उपार्जन और खाद व्यवसाय के लिए बिना ब्याज की राशि उपलब्ध हो जाने पर सुविधा होगी।
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, कृषि उत्पादन आयुक्त शैलेन्द्र सिंह, अपर मुख्य सचिव सहकारिता अजीत केसरी उपस्थित थे।