भोपाल
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, उच्च शिक्षा विभाग टास्क फोर्स समिति के सदस्यों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर बैठक हुई। मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के बाद पूरे देश में मध्य प्रदेश मॉडल बना है। नीति को लागू करना चुनौती भरी जिम्मेदारी है। किसी भी कार्य में शुरुआती तौर पर मुश्किलें आती हैं। दृढ़ संकल्पित बुद्धिजीवी हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सुचारू क्रियान्वयन के उद्देश्य से उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी लीड कॉलेज के प्राचार्य, विश्वविद्यालयों के कुलपति और टास्क फोर्स समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर सुझाव लिए जा रहे हैं।
मंत्री डॉ. यादव ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से विद्यार्थियों को रोजगार मूलक पाठ्यक्रमों का लाभ मिलेगा। स्नातक स्तर पर 4 वर्षीय पाठ्यक्रम चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, विद्यार्थी केंद्रित अकादमिक लचीलापन, बहु-विषयक दृष्टिकोण, बहु-प्रविष्टि एवं बहु-निर्गमन की उपलब्धता, रोजगार पर व्यवसायिक पाठ्यक्रम, व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए प्रथम वर्ष से ही इंटर्नशिप का प्रावधान भी किया गया है।
मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य शासन द्वारा प्रदेश में बेहतर अकादमिक माहौल बनाने का प्रयास निरंतर रहेगा। उन्होंने कहा कि परंपरागत ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शोध संस्थान के अनुरूप राज्य, विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रदेश में राज्य शोध एवं ज्ञान फाउंडेशन की स्थापना की जा रही है।
प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का यह पहला साल है। हमें ऐसी शिक्षा पद्धति को अपनाना होगा जो लांग रन में सरवाइव करेगी। राजन ने बताया कि प्राचार्य को आवश्यकता अनुसार विभिन्न विभाग जैसे कृषि विभाग, कृषि महाविद्यालय, तकनीकी शिक्षा के महाविद्यालय एवं उद्योग विभाग के अधिकारियों से स्थानीय स्तर पर संपर्क स्थापित कर सहयोग प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशाला भी समय-समय पर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि व्यवसायिक पाठ्यक्रम की सीमा सुझावों के आधार पर बढ़ायी जाएगी।
शासकीय विश्वविद्यालय के कुलपति, टास्क फोर्स समिति के सदस्यों ने कक्षा 12वीं के बाद उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कैरियर गाइडेंस केंप लगाने, विद्यार्थी वर्ग की मानसिकता और रूझान को समझ कर विषयों का चयन करने आदि सुझाव दिए गए। अपर आयुक्त उच्च शिक्षा दीपक सिंह और मध्यप्रदेश विनियामक आयोग के अध्यक्ष भरतशरण सिंह मौजूद थे।