भोपाल
महिला अपराधों के मामले में देश के टॉप पांच प्रदेशों में शामिल मध्य प्रदेश को इस कलंक से बाहर निकालने के प्रयास अब तेज हो गए हैं। इसके लिए अब प्रदेश के चार बड़े शहरों में गंभीर अपराधों से लेकर सजा के लेखा जोखा से एएसपी और डीएसपी को लगातार आईजी को अवगत करना होगा। इतना ही नहीं जिलों की रैंकिंग सिस्टम और दो महीने के भीतर ज्यादती की विवेचना यदि पूरी नहीं हुई तो इसकी रिपोर्ट भी आईजी के पास हर हाल में इन अफसरों को देना होगी।
गौरतलब है कि एनसीआरबी के डाटा अनुसार वर्ष 2020 में प्रदेश महिला अपराधों के मामले में पांचवे नंबर पर था। भोपाल, इंदौर की महिला अपराध की एडिशनल डीसीपी सहित ग्वालियर और जबलपुर के एएसपी महिला अपराधों को पुलिस मुख्यालय ने इनके पदों को स्वीकृत करने के साथ ही इनके कर्तव्य भी बताये हैं। पुलिस मुख्यालय ने निर्देश दिए हैं कि इंवेटिग्रेशन ट्रैकिंग सिस्टम और सेक्सुअल अफेंस रैंकिंग (आईटीएसएसओ)की मॉनिटरिंग लगातार करना होगी, इसकी रैंकिंग से आईजी को भी लगातार अपडेट करवाना होगा।
इन चारों शहरों में महिला अपराध एएसपी और डीएसपी के हाल ही में पद स्वीकृत किए हैं। इन पदों पर अफसरों को पदस्थ कर दिया गया है। अब इनसे महिला अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए उन्हें कर्तव्य बताये गए हैं। जिसमें भोपाल ,इंदौर जबलपुर एवं ग्वालियर में एएसपी महिला अपराध को बताया गया है कि उन्हें अपने जोन के जिलों के महिला थाने और ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क का निरीक्षक रोस्टर के अनुसार करना ही होगा। महिला एवं बालिकाओं संबंधी चिन्हित अपराधों की लगातार मॉनिटरिंग करना होगी। वहीं आईटीएसएसओ रैंकिंग को मॉनिटर करते रहना होगा और इससे आईजी को अवगत करना होगा। ज्यादती के जिन मामलों की विवेचना दो माह कि अवधि में पूर्ण नहीं हो पाई हो,उसकी जानकारी हर माह जोनल आईजी के सामने पेश करना होगी। जिलों में महिला अपराधों मे हो रही सजा एवं दोषमुक्ति के प्रकरणों की समीक्षा लगातार करना होगी।
इसी तरह डीएसपी महिला अपराध इन जिलों के महिला थाने के नोडल अफसर होंगे। जिले में घटित ज्यादती के प्रकरणों के अलावा एसिड अटैक के मामले व अनैतिक देह व्यापार के समस्त प्रकरणों का पर्यवेक्षण इन्हें करना होगा। महिला अपराधों की दृष्टि से सुरक्षा आॅडिट कर संवेदनशील स्थलों का पता लगाना और उन्हें सुरक्षित करने के लिए कार्य योजना बनाकर एसपी को प्रस्तुत करना भी डीएसपी को करना होगा।