इंदौर में दो सालों में 55 हजार से अधिक रिकार्ड कारें पंजीकृत

इंदौर
 वैश्विक महामारी बन दुनिया को अस्त- व्यस्त करने वाले कोरोना और आपूर्ति को प्रभावित करने वाली सेमीकंडक्टर की कमी भी कारों की राह नहीं रोक सकी। इंदौर में बीते दो सालों में 55 हजार से अधिक कारें पंजीकृत हुईं। इनमें छोटी से लेकर छह करोड़ की लग्जरी कारें शामिल हैं। इस दौरान कार के नंबरों की सात सीरीज खत्म हो गईं। बीते सप्ताह से आठवीं सीरीज शुरू हुई है। आरटीओ के अनुसार, 24 मार्च 2020 को जब लाकडाउन लगा था, उस समय इंदौर में एमपी 09 डब्ल्यूई सीरीज चल रही थी और उसके आधे नंबर बिक चुके थे। अब अप्रैल- 22 के मध्य से एमपी 09 डब्ल्यूएम शुरू हो गई है, जिसके करीब 500 नंबर बिक चुके हैं।

एक सीरीज में 9999 नंबर होते हैं, जिनमें से 400 नंबर वीआइपी होते हैं। इनमें से 100 नंबर बिक जाते हैं। शेष उपलब्ध रहते हैं, लेकिन सामान्य नंबर के खत्म होने पर नई सीरीज शुरू हो जाती है। आरटीओ के चार पहिया शाखा प्रभारी रोहित अटूट बताते हैं कि लाकडाउन में प्रोडक्शन भी प्रभावित हुआ, जिससे डिलिवरी नहीं हो पाई, लेकिन इसके बाद भी लगातार कारें बिकती रहीं। मार्च-20 के बाद से काम प्रभावित होने के बाद भी हमारी सातवीं सीरीज शुरू हो गई है।

50 लाख से छह करोड़ रुपये तक की कार

स्मार्टचिप कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार में इंदौर में बीते दो सालों में 50 लाख से लेकर छह करोड़ की राल्स रायस जैसी 145 कारें पंजीकृत हुई हैं। हाल ही में पौने तीन करोड़ की जर्मनी से मंगवाई गई कार भी पंजीकृत हुई है।

वाहनों की ब्रिकी में आया नया ट्रेंड

एआरटीओ अर्चना मिश्रा बताती हैं कि बीते कुछ समय से वाहन की ब्रिकी में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है। दोपहिया वाहनों की बिक्री आश्चर्यजनक रूप से कम हो गई है, जबकि कारों की बढ़ गई है। फिर भी बीते दो सालों में करीब 55 हजार कारें इंदौर आरटीओ में पंजीकृत हुई हैं। इनमें इंदौर जिले में बिकी कारों के अलावा दूसरे शहरों से यहां टीआर (टेंपरेरी रजिस्ट्रेशन) लेकर आई कारें भी शामिल हैं। कई कारें जो इंदौर में उपलब्ध नहीं थीं, लोग उसे बाहर से लेकर आए और हमारे यहां पंजीकृत करवाया। डीलरों का कहना है कि सेमीकंडक्टर के कारण आपूर्ति काफी प्रभावित रही है। दीपावली पर डीलर ग्राहकों को डिलिवरी नहीं दे पाए थे। कई कारों के माडलों पर तो महीनों की वेटिंग थी।