भोपाल
अगले दो माह के भीतर राज्य सरकार एसडीएम के पावर बढ़ाने जा रही है। राज्य सरकार ने ऋणपुस्तिका की हार्डकॉपी देना बंद कर दी है और अब यह आॅनलाईन उपलब्ध है। सिविल कोर्ट के बाद अब राज्य सरकार एसडीएम कोर्ट के मामलों में भी जमानत के लिए ऋण पुस्तिका में आॅनलाईन एंट्री करने की सुविधा एसडीएम को देने जा रही है।
राजस्व विभाग ने ऋण पुस्तिका को आॅनलाईन कर दिया है। अब किसान इसकी कॉपी आॅनलाईन निकाल सकते है। इसके लिए उन्हें तहसीलदार, एसडीएम कार्यालय के चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। सिविल कोर्ट में जिन मामलों में जमानत के लिए लोग ऋण पुस्तिका जमा कराकर उस पर एंट्री कराता था। अब उन सभी मामलों में न्यायालय को यह अधिकार दे दिए गए है कि अब जमानत के लिए ऋण पुस्तिका में आॅनलाईन एंट्री होने लगी है। अभी एसडीएम कोर्ट में चलने वाले मामलों में सुनवाई के दौरान बेल या अन्य कार्यो के लिए आॅनलाईन एंट्री कराने के पावर अभी नहीं दिए गए है। अब राजस्व विभाग एसडीएम को यह पावर देने जा रही है। वे भी ऋण लेने के मामलों में, जमानत देने के मामलों में भू-अभिलेख, खसरे में, ऋण पुस्तिकाओं में आॅनलाईन एंट्री करेंगे।
यह होगी आसानी
कई बार भौतिक रूप से ऋण पुस्तिकाओं में जमानतदार की ओर से जमानत लिए जाने के मामलों में फर्जी ऋण पुस्किाएं तैयार कर उस पर जमानत ले ली जाती थी। अब जब यह पूरा सिस्टम आॅनलाईन हो जाएगा तो फर्जी ऋण पुस्तिका से जमानत के मामलों पर रोक लग जाएगी। वहीं जमानतदार को केवल अपनी ऋण पुस्तिका, खसरे नंबर की जानकारी ही देना होगा उसके आधार पर आॅनलाईन सारी जानकारी सामने आ जाएगी। इसमें जमानतदार की किसान की खुद की ऋण पुस्तिका है। यह प्रमाणित करने के लिए उसे अन्य आईडी प्रूफ और दस्तावेज नहीं दिखाना होगा। आॅनलाईन ऋण पुस्तिका में सारी जानकारी, फोटो ब्यौरा आॅनलाईन आ जाएगा।
उस ऋण पुस्तिका पर कितनी बार जमानत दी गई। बैंक से कितनी बार कितना ऋण लिया गया और कितना ऋण वापस लौटाना अभी बाकी है यह सब जानकारी भी आॅनलाईन दिख जाएगी। अधिकारियों को भी फर्जी ऋण पुस्तिकाओं के आधार पर जमानत देने के मामलों में राहत मिलेगी और जांच और अन्य औपचारिकताओं से मुक्ति मिल जाएगी।