भोपाल । मध्यप्रदेश में जल्द ही एनएसयूआई सड़कों पर उतरने वाली है, दरअसल एनएसयूआई का आरोप है कि मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेज का घोटाला लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे नर्सिंग के लाखों छात्र छात्राओं का भविष्य संकट में है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा धड़ल्ले से फर्जी नर्सिंग कॉलेजों को बिना किसी मापदंड के मान्यता दी जा रही है। मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा 2020-21 सत्र की मान्यता फरवरी 2023 में जारी गई, जिससे पूरे प्रदेश के लाखों नर्सिंग छात्र छात्राओं का भविष्य संकट में आ गया।
एनएसयूआई मेडिकल विंग के प्रदेश संयोजक रवि परमार का आरोप
एनएसयूआई मेडिकल विंग के प्रदेश संयोजक रवि परमार ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांरग और उनके अधीनस्थ कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा नर्सिंग कॉलेजों में बड़ा घोटाला किया गया है। जिसको दबाने के लिए विश्वास सांरग पुलिस प्रशासन का सहारा ले रहे हैं। शिवराज सरकार की छवि धूमिल करने सबसे अव्वल नंबर पर चिकित्सा शिक्षा विभाग में लगातार घोटाले हो रहे हैं। अगर निष्पक्ष जांच होगी तो चिकित्सा शिक्षा मंत्री सहित सभी मंत्री जेल की सलाखों के पीछे नजर आएंगे।
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में लगातार बढ़ती अनियमितताएं
रवि परमार ने कहा कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में लगातार बढ़ती अनियमितताओं को देखते हुए सरकार को आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय को बंद कर संभागीय विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगने के साथ ही चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति में भी निश्चित ही सुधार होगा। एनएसयूआई का आरोप है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय परीक्षा करवाने में असमर्थ है तो फिर छात्र छात्राओं का आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली कक्षा में प्रमोशन करना ही उचित है, जिससे कि छात्र छात्राएं अगले वर्ष की पढ़ाई कर सकें और उनका जो साल बर्बाद हुआ है उससे उनको राहत मिल सके। विश्वविद्यालय 2020-21 में प्रवेशित छात्र छात्राओं की परीक्षाएं अभी तक नहीं करवा सका, जिसकी वजह से छात्र छात्राओं के तीन साल बर्बाद हो गए। छात्र छात्राएं अपने भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंतित हैं क्योंकि जिन छात्र छात्राओं का 2 साल का कोर्स था उनको तीन साल हो चुके हैं लेकिन अभी तक प्रथम वर्ष की परीक्षाएं तक नहीं हुई हैं। यही हाल 4 साल के कोर्स वाले स्टूडेंट्स का है। 3 साल बीतने के बाद भी प्रथम वर्ष की परीक्षा नहीं हुई, ऐसे में छात्र छात्राओं को अपनी डिग्री कब मिलेगी।