भोपाल
भारतीय जनता पार्टी ने संगठनात्मक चंदा वसूली का दायित्व प्रभारी मंत्रियों को सौंप कर ,यह सिद्ध कर दिया है कि समर्पण निधि का लक्ष्य अफसरों पर दबाव बनाकर ही पूरा किया जा सकता है। हर जिलों के प्रभारी मंत्री अपना अपना लक्ष्य लेकर आज से ही प्रभार के जिले के प्रवास पर चले गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा कि यह सरकार द्वारा संगठन के लिए 'जबराना' वसूलने का अभियान है । डेढ़ सौ करोड़ की राशि 45 दिन में इकट्ठे करने का लक्ष्य अधिकारियों से जबराना वसूली करके ही पूरा किया जा सकता है ।
भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा को यह बताना चाहिए कि अगर यह निधि संगठनात्मक प्रक्रिया का हिस्सा है तो संगठन के लोगों को ही इसका दायित्व क्यों नहीं दिया गया? इसमें प्रभारी मंत्रियों को सर्वेसर्वा क्यों बनाया गया?
कोरोना काल में मध्य प्रदेश की जनता महामारी में चुस चुकी है ।उसके शरीर में अब एक बूंद भी अतिरिक्त नहीं बची है। ऐसे समय में डेढ़ सौ करोड़ की वसूली की अपेक्षा कार्यकर्ताओं से करना जनता की नजर में धूल फेंकने जैसा है ।कांग्रेस जानती है कि भाजपा का गरीब कार्यकर्ता भी करोना में फुकलैट हो चुका है ।उसकी ही सरकार ने उस पर महामारी में कोई रहम नहीं किया है। वह चंदा देने की स्थिति में नहीं है।भाजपा कार्यकर्ता भी ₹107 का पेट्रोल खरीदकर खून के आंसू रो रहा है। ऐसे में इतना बड़ा लक्ष्य केवल अधिकारियों से पूरा कर करने की नीयत से ही प्रभारी मंत्रियों को समर्पण निधि का प्रभार दिया गया है ।
गुप्ता ने कहा की मिस कॉल वाली पार्टी अगर जमीन पर कहीं है तो संगठन के माध्यम से खजाना भरे ।सत्ता के माध्यम से नहीं ।कम से कम चंदे में तो जीरो टालरेंस रखें।जिससे आपको पता चल सके कि भाजपा कार्यकर्ता की भी जेब उसकी ही सरकार ने खाली कर दी है।