
भोपाल
शिक्षकों (अध्यापकों) की मनोकामना यात्रा भोपाल पहुंचने से पहले सरकार ने उनकी नाराजगी को कम करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। सरकार उनकी क्रमोन्नति की मांग पर तेजी से काम कर रही है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 12, 24 और 30 साल में क्रमोन्नति देने का प्रस्ताव तैयार किया है, जो प्रशासकीय मंजूरी के लिए विभाग के मंत्री इंदर सिंह परमार को भेज दिया है। मंत्री की सहमति के बाद यह प्रस्ताव वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाएगा। ज्ञात हो कि शिक्षकों को क्रमोन्नति देने की नोटशीट पिछले ढाई साल से लोक शिक्षण संचालनालय और मंत्रालय के बीच घूम रही थी। इस बीच शिक्षक हर स्तर पर क्रमोन्नति दिलाने की मांग कर चुके हैं।
शिक्षक पुरानी पेंशन बहाली के लिए लामबंद हैं। 25 दिसंबर को करीब 50 हजार शिक्षक भोपाल पहुंच रहे हैं और करीब छह दिन यहां डेरा डालेंगे। ऐसे में सरकार के सामने कई तथ्य भी आएंगे। यही कारण है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने क्रमोन्नति की नोटशीट पर तेजी से काम शुरू किया है। सूत्र बताते हैं कि पिछले 15 दिनों में 12, 24 और 30 साल में क्रमोन्न्ति का प्रस्ताव तैयार किया गया है। ताकि बात बढ़े, तो यह बताया जा सके कि विभाग प्रस्ताव भेज चुका है और अब वित्त या सामान्य प्रशासन विभाग के स्तर पर लंबित है।
कौन लेगा निर्णय, बाद में होगा तय
किस स्तर के शिक्षक (उच्च माध्यमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक और प्राथमिक शिक्षक) को क्रमोन्न्ति देने का निर्णय कौन लेगा, यह बाद में तय होगा। पुराने संवर्ग के व्याख्याता की नियुक्ति आयुक्त लोक शिक्षण, उच्च श्रेणी शिक्षक की नियुक्ति संभागीय संयुक्त संचालक और सहायक शिक्षक की नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी ने की है।
यही फार्मूला क्रमोन्नति पर लागू होता है, पर वर्ष 2014 में आयुक्त ने काम का बोझा कम करने के लिए अपने अधिकार संभागीय संयुक्त संचालक को सौंप दिए और संभागीय संयुक्त संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी को। यानी नियुक्ति भले ही आयुक्त ने की हो, पर व्याख्याता संवर्ग को अन्य लाभ देने की जिम्मेदारी संभागीय संयुक्त संचालक निभाएंगे और उच्च श्रेणी शिक्षक व सहायक शिक्षक की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी। ऐसा ही इन शिक्षकों के मामले में किया जा सकता है।