भोपाल
पंचायत चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण खत्म किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गूंज मंगलवार को विधानसभा में रही। इसका असर यह रहा कि प्रश्नकाल नहीं हुआ और सदन शुरू होते ही कांग्रेस द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को मंजूर करने की सहमति देते हुए अध्यक्ष ने इस पर चर्चा शुरू करा दी।
प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने पर विधायक कमलेश्वर पटेल ने कहा कि भारतीय संविधान में उल्लेख है कि पंचायत चुनाव रोटेशन में होना चाहिए। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने इस एक्ट को और मजबूत बनाया था। प्रदेश में बिना रोटेशन अधिसूचना जारी की गई जबकि 2019 में कमलनाथ सरकार ने परिसीमन कराया था। तब ग्रामीण जन की सुविधा को ध्यान में रखकर परिसीमन कराया गया था। उन्होंने शिवराज सरकार को घेरते हुए कहा कि यह सरकार जल्दबाजी में निर्णय लेती है। तीन बार इसी सरकार ने रोटेशन में चुनाव कराए थे। उन्होंने निवाड़ी जिले के गठन में जल्दबाजी का भी उल्लेख किया।
पटेल ने कहा कि 15 साल से यह सरकार पंचायतों के अधिकार छीनने का काम कर रही है। पंचायत चुनाव के लिए नई मतदाता सूची नहीं बनी है जो एक जनवरी को 18 साल के होंगे वे वोट से वंचित रहेंगे। जिला पंचायत आरक्षण की प्रक्रिया नहीं हुई है। फिर इतनी जल्दी क्यों थी? अगर रोटेशन से चुनाव होते तो कोई पीड़ित कोर्ट नहीं जाता। चर्चा के दौरान नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और कांग्रेस विधायक तरुण भनोत के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इस दौरान कई बार हंगामे की स्थिति बनी तो अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा। इस मौके पर मंत्री और विधायक ने अपनी बात गलत साबित होने पर सदन के समक्ष इस्तीफे की धमकी भी दी।
मंगलवार को सदन के समवेत होने पर नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण नहीं होने पर कांग्रेस स्थगन प्रस्ताव पेश किया है, इस पर चर्चा होनी चाहिए। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस पर कहा कि चर्चा हो, सरकार इसके लिए तैयार है। यह करोड़ों पिछड़ा वर्ग के लोगों के भविष्य से जुड़ा गंभीर विषय है लेकिन जब बात कही जाए तो रोकाटोकी नहीं हो। मेरी पूरी बात को सुना जाए। इस पर कमलनाथ ने सहमति दी तो विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि कई बार सदन के नेता बोलते हैं तो कई सदस्य सदन के बाहर चले जाते हैं या रोक टोक करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने स्थगन दिया था, उसे स्वीकार कर लिया चर्चा हो रही है।
चर्चा के दौरान विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण खत्म किया जाना इस वर्ग के युवाओं के साथ अन्याय है, इसलिए दोनों ही दलों के लोगों को बैठकर रास्ता निकालने की जरूरत है। ऐसा करके ओबीसी वर्ग का आरक्षण का हक मारे जाने से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सदन में सभी विधायकों के सवाल-जवाब किए जाने की बजाए नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री अपनी बात कहें, ताकि कुछ सार्थक परिणाम सामने आ सकें। इस पर सीएम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे पहले ही कह चुके हैं कि नेता प्रतिपक्ष को उनकी बात सुननी पड़ेगी, लेकिन वे लखनऊ जाने को तैयार हैं। इस पर कमलनाथ ने कहा है कि सीएम का बयान सुनकर ही वे लखनऊ जाएंगे। इसके बाद अध्यक्ष ने व्यवस्था तय की कि अन्य विधायकों को बोलने का मौका देने की बजाए मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष अपनी बात कहेंगे, इसके आधार पर निर्णय लिया जाएगा।