ग्वालियर की टीम का खौफ मिलावटखोरों ने बदला रूट

ग्वालियर
दूध से बनने वाला मावा और पनीर ये दो ऐसी चीजे है जो अगर शुद्ध तो शरीर के लिए पोष्टिक है, लेकिन अगर यह नकली और अमानक है तो शरीर के लिए सीधे तौर पर ये जहर है। इसी सफेद जहर का यही धंधा पूरे प्रदेश में चल रहा है। खास बात ये कि इंसानी जिंदगी से खिलवाड करने वाला ये गौरखधंधा ग्वालियर चंबल संभाग से आॅपरेट हो रहा है। मुरैना से पनीर और भिंड से अमानक मावा की सप्लाई ने ग्वालियर सहित पूरे प्रदेश को बदनाम कर दिया है। पिछले तीन महीनों के दौरान ग्वालियर व प्रदेश की राजधानी भोपाल में अलग-अलग कार्रवाई के दौरान बड़ी मात्रा में पनीर और मावा जब्त किया गया। इसकी सप्लाई भिंड व मुरैना से हुई थी। इनकी कीमत लाखों रूपए बताई गई है। खास बात ये कि खाद्य विभाग व पुलिस की इस कार्यवाही में जब्त होने के बाद मावा पर अपना हक जमाने वाले भी नहीं पंहुच रहे है। नतीजतन इसका नष्टीकरण किया जा रहा है।

खाद्य पदार्थो में मिलावट कर मोटा मुनाफा कमाने वालों पर ग्वालियर में कार्रवाई की जा रही है। खाद्य महकमे की टीम अपने सूत्रों के जरिए मुरैना व भिंड से आने वाला पनीर व मावा को जब्त कर सैंपलिंग की कार्रवाई कर रही है। ग्वालियर में लगातार की जा रही इस कार्रवाई के बाद सकते में आए भिंड व मुरैना के मिलावटखोरों ने अब अपना रूट ही बदल दिया है। प्रदेश व देश भर में पनीर व मावा को खपाने के लिए इसे ग्वालियर में ना लाते हुए अब धौलपुर, आगरा व झांसी का रूट पकडा गया है। मतलब ये कि ग्वालियर में जो पनीर व मावा मुरैना और भिंड से आ रहा है वह सिर्फ 10 प्रतिशत ही है।

बिना लायसेंस के बसो से अवैध ट्रांसपोर्टेशन
कई सालों से पनीर, मावा व अन्य मिल्क प्रॉडक्ट सवारी वाहनों से प्रदेश के अलग-अलग शहरों और राज्यो में भेजे जा रहें है। इसे रोकने के लिए दो साल पहले ग्वालियर के तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी ने एक आदेश जारी किया था। इसके तहत बिना लायसेंस व रजिस्ट्रेशन के खाद्य पदार्थो का ट्रांसपोर्टेशन करने वाली ट्रेवल एजेंसी की बसों को जब्त किया जा रहा था। ट्रांसपोर्टेशन का ये खेल फिर शुरू हो चुका है। ग्वालियर में इसी महीने दो बसो पर पनीर व मावा पकडा गया। जबकि बस एजेंसी के पास खाद्य पदार्थो के ट्रांसर्पोटेशन का रजिस्टेÑशन व लायसेंस नहीं था। ऐसी ट्रेवल एजेंसी के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है।