भोपाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में वनोपज के विक्रय के वर्तमान प्रचलित कार्य का विकेंद्रीकरण किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत वनवासियों और वन समितियों द्वारा प्रोडक्ट बनाओ और बेचो के कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। लघु वनोपजों के प्र-संस्करण पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। वन-धन केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाएगी। उनकी उत्पादित सामग्रियों की पुख्ता विपणन व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गेहूँ, धान, चने का उत्पादन कार्य पारम्परिक रूप से बड़े पैमाने पर होता है। इन उत्पादनों के साथ ही चंदन की खेती, बाँस उत्पादन, औषधियों के निर्माण में उपयोगी वनोपज के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यावरण के लिए वनों को बचाना भी आवश्यक है और वनों से वनवासियों को आय भी हो, इसके प्रयास किए जाएंगे। मेले में बायर-सेलर मीट के आयोजन प्रशंसनीय हैं। इसके अधिकाधिक आयोजन हों ताकि वनवासियों को वनोपज का दाम मिल सके।
मुख्यमंत्री चौहान आज लाल परेड ग्राउंड में वन विभाग द्वारा आयोजित अतंर्राष्ट्रीय वन मेले के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। वन मंत्री कुवंर विजय शाह, चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, आयुष राज्य मंत्री राम किशोर कावरे, प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल, जन-प्रतिनिधि और प्रदेश के विभिन्न अंचलों से आए वन समितियों के सदस्य उपस्थित थे। मुख्यमंत्री चौहान ने इंटरनेशनल हर्बल मेले में विभिन्न स्टाल देखे और उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त की।
विंध्या उत्पाद खरीदें, मुख्यमंत्री चौहान ने की ब्रांडिंग
मुख्यमंत्री चौहान ने विंध्या हर्बल के उत्पाद उपयोग में लाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा हर्बल चाय, शहद, चिरौंजी हमारे ब्रांड हैं। इन्हें खरीदें और प्रोत्साहित करें। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा ये शुद्धता से भरपूर उत्पाद हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि वन समितियों के सदस्यों ने विभिन्न वन उत्पाद, वन मेले में प्रदर्शित किए हैं।
आयुर्वेद प्राचीन विद्या, इसका भी उपयोग करें
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति प्राचीन विधा है। हर ग्राम में इसके जानकार होते थे। मुख्यमंत्री चौहान ने इंदौर के वैद्य पं. रामायण शास्त्री का उल्लेख किया जो खाने-पीने की चीजों में औषधि देते थे, हजारों रोगियों को इसका लाभ मिलता था। ऐलोपेथी के साथ आयुर्वेद का उपयोग भी करना उपयोगी है।
वन समितियाँ बाँस उत्पाद को बढ़ावा दें
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि विश्व को बेहतर औषधियाँ चाहिए, जो हमें वनों से प्राप्त हो सकती हैं। हम दुनिया को औषधियाँ देकर मदद कर सकते हैं और अच्छा लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हमारे वनोपज से जुड़े भाई-बहनों को आगे आना चाहिए। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि बाँस की मांग बढ़ती जा रही है। इसका क्षेत्र बढ़ रहा है। बाँस से फर्नीचर बनाने और सजावटी सामान के साथ इसके उपयोग का दायरा बढ़ रहा है। वन समितियाँ बाँस के उत्पाद को बढ़ावा दें और बेहतर मुनाफा कमाएँ।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमने तेंदूपत्ते के अलावा अन्य वनोपज को खरीदने की भी व्यवस्था की है। हमारे वनों में अनेक औषधीय पेड़-पौधे हैं। इनसे दवाएँ बन रही हैं। वन मेला अब भव्य स्वरूप में है। यह हमें औषधियों से इलाज देता है, तो रोजगार के अच्छे अवसर भी देता है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संकट के समय, हमारी औषधियों ने बहुत बड़ा सहारा दिया।
वन ऑक्सीजन प्लांट हैं, औषधियों के मामले में भी धनी हैं वन
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमारे मध्यप्रदेश के वन देश का ऑक्सीजन प्लांट हैं। साथ ही हमारे वन हमेशा से औषधियों के मामले में धनी हैं। वनोपज हमारे जीवन, हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन वनों से हमें स्वस्थ रहने की अमृत समान औषधियाँ मिलती हैं। वनोपज से तैयार की गई दवाएँ शुद्ध होती हैं। वनों के संरक्षण के साथ औषधियों के उत्पाद पर भी हम काम कर रहे हैं। यह औषधियाँ हमें उत्तम स्वास्थ्य के साथ बेहतर आमदनी भी देती हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमने तेंदूपत्ते के अलावा अन्य वनोपज को खरीदने की भी व्यवस्था की है। हमारे वनों में अनेक औषधीय पेड़-पौधे हैं। इनसे दवाएँ बन रही हैं, लोगों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है और हमारे वनवासी भाई-बहनों की आमदनी भी बढ़ रही है। यह वन मेला सिर्फ वन मेला न होकर अद्भुत आयोजन बन गया है।
कोरोना से बचाव के लिए सावधानियाँ बरतने का आव्हान
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि कोरोना संकट अभी टला नहीं है। हमें इसके लिए सतर्क रहना होगा। कोरोना से बचाव के लिए फेस मास्क का उपयोग आवश्यक है। हम आवश्यक सावधानियों से ही कोरोना की तीसरी लहर से बच सकते हैं। प्रदेश में वैक्सीनेशन का रिकार्ड बना है। प्रत्येक व्यक्ति को दो डोज लगवाना है।
वन मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेदिक काढ़े ने लाखों लोगों को महामारी से बचाया। मध्यप्रदेश ने आयुर्वेद के इस उत्पाद का प्रयोग कर दुनिया में उदाहरण प्रस्तुत किया। वन मेला हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। इसके आयोजन का उद्देश्य वनोपज उत्पाद करने वाले वनवासियों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके तथा बिचोलियों से उन्हें बचाया जा सके। दो दिन तक वनवासियों को यहाँ प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। वन मंत्री शाह ने कहा कि मेले में पहली बार 6-7 विदेशों के आयुर्वेद डॉक्टर भाग ले रहे हैं। इसके माध्यम से छोटे और गरीब लोग आकर उनसे इलाज भी करा सकते हैं। आयुर्वेद की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। विदेशी डॉक्टरों से इलाज मुफ्त में करा सकते हैं। प्रारंभ में मुख्यमंत्री चौहान ने अनेक वन समितियों के सदस्यों से भेंट की। मुख्यमंत्री चौहान को प्रतीक स्वरूप विंध्या हर्बल के उत्पाद भेंट किए गए।
मेले के मुख्य आकर्षण
अंतराष्ट्रीय वन मेले में लगभग 300 स्टॉल स्थापित की गई है, जिसमें मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि के हर्बल उत्पादक शामिल हुए है। हर्बल उत्पादों विशेषकर कच्चे माल से लेकर प्र-संस्कृत उत्पादों एवं इससे संबंधित तकनीक का जीवंत प्रदर्शन किया गया है। साथ ही विभिन्न शासकीय विभागों की योजनाओं को भी मेले में प्रदर्शित किया गया। मेले में चिकित्सा परामर्श के लिये ओपीडी स्टॉल सहित आयुर्वेद चिकित्सक/वैद्यों द्वारा नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श की व्यवस्था भी रखी गई है। वन मेले में प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी रखा गया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सूफी गायन, आदिवासी लोकनृत्य एवं मालवी लोकगीत भी होंगे।
लघु वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा थीम पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भी होगा इसमें भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के विशेषज्ञों के साथ मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों के विषय-विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे। मेले में इस वर्ष भी लघु वनोपज के क्रय-विक्रय के लिये क्रेता-विक्रेता संवाद सम्मेलन आयोजित किया जायेगा।