वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन के सामने कस्बाई ट्रैफिक व्यवस्था

जबलपुर
जबलपुर मुख्य रेलवे स्टेशन को भले ही करोड़ों रुपए खर्च कर वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन की फेहरिस्त में शामिल कर दिया गया हो, लेकिन इस चमकते दमकते रेलवे स्टेशन के सामने की ट्रैफिक (यातायात) व्यवस्था आज भी कस्बाई सरीखी ही नजर आती है। घटिया ट्रैफिक व्यवस्था के नजारे उस वक्त और भी भयावह दिखाई देते हैं, जब कोई ट्रेन प्लेटफार्म पर आकर रुकती है और यात्री बाहर निकलने लगते हैं। ऐसे में आॅटो चालक अपने वाहन में सवारियों को बैठाने के लिए हर वो मुमकिन कोशिश करते हैं, ताकि उनके वाहन में सवारी बैठ जाए। ऐसे में सवारी आॅटो चालकों द्वारा स्टेशन के बाहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बुरी तरह से रौंदा जाता है। पूरे सर्कुलेटिंग एरिया में इस कदर धमाचौकड़ी मचाई जाती है जैसे, कि छत्ता टूटने के बाद मधुमक्खियां मंडराती हैं। प्लेटफार्म नम्बर-6 के बाहर इस तरह के नजारे दिन भर नजर आते हैं। आॅटो चालकों की वजह से स्टेशन परिसर की बिगड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी वैसे तो पूरी तरह से यातायात विभाग की है, लेकिन यातायात विभाग के कर्मवीर शहर के विभिन्न चौराहों अथवा सड़कों पर खड़े होकर केवल मास्क न पहने हुए वाहन चालकों से जुर्माना वसूली करते हुए ज्यादातर नजर आते हैं।

आरपीएफ भी नहीं दे रही ध्यान
मुख्य रेलवे स्टेशन के दोनों मुख्य प्लेटफार्म नम्बर-1 एवं 6 के सर्कुलेटिंग एरिया की ट्रैफिक व्यवस्था को बनाए रखने की अहम जिम्मेदारी रेलवे के आरपीएफ विभाग की भी है, लेकिन आरपीएफ के गबरू जवान इस व्यवस्था पर पूरा फोकस केवल प्लेटफार्म नम्बर-1 के बाहर ही रहता है। प्लेटफार्म नम्बर-6 की तरफ क्या हो रहा है वे भूल से भंी झांकने की कोशिश नहीं करते हैं। स्टेशन के बाहर आॅटो चालकों द्वारा ट्रैफिक व्यवस्था को रौंदकर अपना व्यवसाय करने की ये परिपाटी लंबे समय से चली आ रही है और इस परिपाटी को बल पूर्वक समाप्त करने के लिए न तो यातायात विभाग के जिम्मेदार ध्यान दे रहे हैं और न ही रेलवे के अधिकारी।