राजनीतिक विरोधी भी हुए सर्वानुमति की थ्योरी के आगे पस्त
शहडोल
बिम्मू भैया ने शीर्ष नेतृत्व के मार्गदर्शन में एक ऐसी रणनीति पर काम शुरू किया जो विपक्ष को चारों खाने चित कर गई।
जनपद तथा जिला पंचायत में भाजपा के सदस्य ज्यादा चुनकर आये लिहाजा यह प्रतिस्पर्धा को कठिन बनाता गया। जनपदों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के कई-कई दावेदार सामने आने लगे। ऐसे में भाजपा वरिष्ठ नेता श्री मिश्रा ने एक ऐसे फार्मूले पर काम शुरू किया जो वैसे तो काफी कठिन था लेकिन यह था काफी प्रभावशाली। ।
दरअसल इस पूरे चुनाव में जिम्मेदारी संभाल रहे श्री मिश्रा ने शुरू से ही यह कोशिश की कि अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव न हों उनका निर्विरोध निर्वाचन हो। इसी फार्मूले पर प्रयास सफल होने लगे, जनपद अथवा जिला सदस्यों से लगातार संपर्क के बाद यह रणनीति काम आई जिला पंचायत अध्यक्ष में निर्विरोध निर्वाचन के साथ शहडोल में नया इतिहास बन गया।
बिम्मू भैया के निर्विरोध वाले इसी फार्मूले को जिला पंचायत में भी आजमाया गया, पहले तो विपक्षी यह मानने को ही तैयार नहीं थे, लेकिन फिर जैसे जैसे वक्त बीता श्री मिश्रा के प्रयास रंग लाने लगे, श्री विमलेश प्रसाद मिश्र जी की भाभी वार्ड क्रमांक 01 से निर्वचित हो कर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अपना फॉर्म दाखिल कर दिया यहां भी सर्वसम्मति से सदस्यों ने इस नाम पर सहमति जताई।
इसके बाद पेंच जिला पंचायत उपाध्यक्ष को लेकर फंसा तो एक बार फिर श्री मिश्रा ने पार्टी के अंदर की रणनीति के तहत उपाध्यक्ष को लेकर सदस्यों की रायशुमारी करवा दी तथा जिसके पक्ष में ज्यादा सदस्य आये उसे ही फार्म भरवाया जिसमे बाजी मारी निवर्तमान जिला पंचायत उपाध्यक्ष फूलमती ने।
कुलमिलाकर बिम्मू भैया ने भाजपा के इस ऐतिहासिक विजय रथ में एक बार फिर सारथी की भूमिका का शानदार निर्वहन करते हुए निर्विरोध के जिस फार्मूले को परिणीत कर दिखाया वह राजनीति के धुरंधरों को भी समझ मे नहीं आ रहा होगा।
साफ है शहडोल की राजनीति में एक बार फिर बिम्मू भैया ने जिला पंचायत, जनपद पंचायतों के चुनाव की चुनौती को बेहद कुशल रणनीति से विजय में परिवर्तित कर एक नया फार्मूला सेट किया है जो राजनीति के लिए आने वाले समय मे अच्छा ही माना जायेगा।