क्या भारत की धरती पर फिर चीतों से ‘रिक्त हो जाएगी’, एक साल में नहीं ढूंढ पाए मौत की वजह

अफ्रीका से भारत लाए गए चीते पूरा करने जा रहे हैं एक साल

भोपाल। भारत में बडे ही उत्साह और उमंग के साथ नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद अपने जन्म दिन पर 17 जुलाई 2022 को इन्हें श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोडा। हालांकि समय के साथ जब लगातार चीतों की मौत की खबरें आईं तो पूरे भारत में वन्यप्राणी प्रेमियों में निराशा छा गई। अब तक नौ चीतों और शावकों की मौत हो चुकी है, लेकिन इन पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। रेडियोकॉलर की वजह से मौत की अफवाहें भी उडीं, लेकिन इन पर चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख एसपी यादव ने यह कहते हुए विराम लगा दिया कि यह एक पूरी तरह परखी हुई वैज्ञानिक प्रक्रिया है, रेडियोकॉलर की वजह से मौत होने की बात पूरी तरह बेतुकी है।

क्या फेल है चीता प्रोजेक्ट
भारत में प्रोजेक्ट चीता में लगातार चीतों की मौत से पूरा अभियान सवालों के घेरे में है। 27 मार्च 2023 से शुरू चीतों की मौत का सिलसिला थमा नहीं है। अब तक नौ चीतों की मौत हो चुकी है, इनमें से तीन शावक थे, जो भारत में ही जन्में थे। यह खबर भारत वासियों के लिए इसलिए भी दुखदायी है, क्योंकि 1947 को विलुप्त हुए चीतों से 75 साल बाद साल 2022 में फिर बसाने की पहल हुई है। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क को कई चरणों की जांच में चीतों के लिए उपयुक्त माना गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के मौके पर 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में पहली बार चीतों को छोड़ा था।

कब कितने ​चीते आए
सबसे पहले पांच मादा और तीन नर चीतों को विशेष विमान से नामीबिया से भारत लाया गया था। दूसरे चरण में 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को कूनो में छोड़ा गया था।

भारत में जन्म और मौत का सिलसिला